उबलते उबलते
कुछ छलक कर गिरे
और बिखर जाये जमीन पर तिनका तिनका
छींटे पड़े कहीं सफेद दीवार पर
कुछ काले पीले धब्बे बनायें
लिख लिया कर
मेरी तरह रोज का रोज
कुछ ना कुछ कहीं ना कहीं
किसी रद्दी कागज के टुकड़े पर ही सही
कागज में लिखा बहुत आसान होता है
छिपा लेना मिटा लेना
आसान होता है जला लेना
राख
हवा के साथ उड़ जाती है
हवा के साथ उड़ जाती है
बारिश के साथ बह जाती है
बहुत कुछ हल्का हो जाता है
बहुत से लोग
कुछ भी नहीं कहते हैं
ना ही उनका लिखा हुआ
कहीं नजर में आता है
और
एक तू है
एक तू है
जब भी भीड़ के
सामने जाता है
सामने जाता है
बहुत कुछ लिखा हुआ
तेरे चेहरे माथे और आँखों में
साफ नजर आ जाता है
तुझे पता भी नहीं चलता है
हर कोई तुझे
कब और किस समय
पढ़ ले जाता है
मत हुआ कर सरे आम नंगा
इस तरह से
जब कागज में
सब कुछ लिख लिखा कर
आसानी से बचा जाता है
कब से लिख रहा है 'उलूक'
देखता नहीं क्या
एक था पन्ना कभी
जो आज लिखते लिखते