परेशानी तो है
आँख नाक दिमाग सब खोल के चलने में
आजकल के जमाने के हिसाब से
किस समय
क्या खोलना है कितना खोलना है किस के लिये खोलना है
क्या खोलना है कितना खोलना है किस के लिये खोलना है
अगर नहीं जानता है कोई
तो पागल तो होना ही होना है
तो पागल तो होना ही होना है
पागल हो जाना भी एक कलाकारी है समय के हिसाब से
बिना डाक्टर को कुछ भी बताये कुछ भी दिखाये
बिना दवाई खाये बने रहना पागल सीख लेने के बाद
फिर कहाँ कुछ किसी के लिये बचता है
सारा सभी कुछ
पैंट की नहीं तो कमीज की ही किसी दायीं या बायीं जेब में
खुद बा खुद जा घुसता है
घुसता ही नहीं है
घुसने के बाद भी जरा जरा सा थोड़े थोड़े से समय के बाद
सिर निकाल निकाल कर सूंघता है
खुश्बू के मजे लेता है
पता भी नहीं चलता है
एक तरह के सारे पागल एक साथ ही
पता नहीं क्यों
पता नहीं क्यों
हमेशा एक साथ ही नजर आते हैं
समय के हिसाब से समय भी बदलता है
पागल बदल लेते हैं साथ अपना अपना भी
नजर आते हैं फिर भी
कोई इधर इसके साथ कोई उसके साथ उधर
बस एक ऊपर वाला
नोचता है एक गाय की पूँछ या सूँअर की मूँछ कहीं
नोचता है एक गाय की पूँछ या सूँअर की मूँछ कहीं
गुनगुनाते हुऐ राम नाम सत्य है
हार्मोनियम और तबले की थाप के साथ
‘उलूक’ पागल होना नहीं होता है कभी भी
पागल होना दिखाना होता है दुनियाँ को
चलाने के लिये बहुत सारे नाटक
जरूरी है अभी भी समझ ले
कुछ साल बचे हैं पागल हो जाने वालों के लिये अभी भी
पागल पागल खेलने वालों से
कुछ तो सीख लिया कर कभी पागल ।
कुछ तो सीख लिया कर कभी पागल ।
चित्र साभार: dir.coolclips.com