पता
कहाँ चल पाता है
कब
एक आदमी
एक गिरोह हो जाता है
लोग
पूछते फिरते हैं
पता उस एक आदमी का
वो
कहीं नहीं मिल पाता है
गिरोह होना
बुरी बात नहीं होती है
सब जानते हैं
काम गिरोह ही आता है
सरदार कौन है
इस से क्या फर्क पड़ता है
काम हो जाना
महत्वपूर्ण माना जाता है
घर से लेकर
मोहल्ले
मोहल्ले से शहर
शहर से जिले
जिले से राज्य
राज्य से
देश में पाया जाता है
छोटे से गिरोह का एक गिरोहबाज ही
देश सम्भालने की ताकत रखता है
यही सत्य होता है माना जाता है
लगता है
कि
गिरोह में नहीं शामिल है
ना ही गिरोह से कोई
कहीं ढेले भर का नाता है
सरदार को
पता होता है सबकुछ
खबर अखबार में जब वो छपवाता है
नाम
सबसे पहले दे कर आता है
उलूक
देखता रहता है गिरोह गिरोहबाज
मानकर
उसे क्या करना
वो तो बस यहां बकने आता है
फैलाते चलते हैं गिरोहबाज
खबर
उलूक के लिये भी
भ्रष्ट है पीता है
और
बहुत कुछ खाता है
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