मेरे घर से
शुरु होता है
शहर की गली
दर गली से
गुजरते हुए
दफ्तर दुकान
और दूसरे
के मकान
तक पहुँच
रहा होता है
हर नंगे के
हाथ में होता है
एक कपड़ा
जगह जगह
नंगा हो रहा
होता है
फिर भी
किसी को
पता नहीं
होता है
किसलिये
एक बेशरम
नजर नीची
कर जमीन
की ओर देख
रहा होता है
और
कपड़ा पहने
हुऐ उसी गली
से निकलता
हुआ एक
बेवकूफ
शरम से
जार जार
तार तार
हो रहा
होता है
कपड़ा होना
जरूरी होता है
किसी डंडे पर
लगा होना
एक झंडा
बना होना
ही कपड़े का
कपड़ा होना
होता है
हरी सोच के
लोगों का हरा
सफेदों का सफेद
और
गेरुई सोच
का गेरुआ
होना होता है
कुत्ते के पास
कभी भी
कपड़ा नहीं
होता है
आदमी होना
सबसे कुत्ती
चीज होता है
लिखने लिखाने
से कुछ नहीं
होता है
वो उसकी
देख कर
उसके लिये
उसकी जैसी
लिख रहा
होता है
कपड़ा लिखने
वाला कुछ
कहीं ढकने
ढकाने की
सोच रहा
होता है
किसी के
लिखे कपड़े
से कोई
अपनी कुछ
ढक रहा
होता है
हर कपड़ा
किसी के
सब कुछ
ढकने के
लिये भी
नहीं होता है
हर किसी को
यहाँ के भी
पता होता है
हर किसी को
वहाँ के भी
पता होता है
कपड़ा कुछ भी
कभी कहीं भी
ढकने के लिये
नहीं होता है
कुछ बना ले
जाते हैं पुतले
जिन्हें पता होता है
कपड़ा पुतला
जलाने के
लिये होता है
जिसके जलना
शुरु हो जाते हैं
पुतले उसका
अच्छा समय
शुरु हो जाने
का ये एक
अच्छा संकेत
होता है
मौज कर
'उलूक'
तेरे जैसे
बेवकूफों
के पुतले
फुँकवाने
के लिये
"होशियार"
के पास
समय ही
नहीं होता है ।
चित्र साभार: www.shutterstock.com
शुरु होता है
शहर की गली
दर गली से
गुजरते हुए
दफ्तर दुकान
और दूसरे
के मकान
तक पहुँच
रहा होता है
हर नंगे के
हाथ में होता है
एक कपड़ा
जगह जगह
नंगा हो रहा
होता है
फिर भी
किसी को
पता नहीं
होता है
किसलिये
एक बेशरम
नजर नीची
कर जमीन
की ओर देख
रहा होता है
और
कपड़ा पहने
हुऐ उसी गली
से निकलता
हुआ एक
बेवकूफ
शरम से
जार जार
तार तार
हो रहा
होता है
कपड़ा होना
जरूरी होता है
किसी डंडे पर
लगा होना
एक झंडा
बना होना
ही कपड़े का
कपड़ा होना
होता है
हरी सोच के
लोगों का हरा
सफेदों का सफेद
और
गेरुई सोच
का गेरुआ
होना होता है
कुत्ते के पास
कभी भी
कपड़ा नहीं
होता है
आदमी होना
सबसे कुत्ती
चीज होता है
लिखने लिखाने
से कुछ नहीं
होता है
वो उसकी
देख कर
उसके लिये
उसकी जैसी
लिख रहा
होता है
कपड़ा लिखने
वाला कुछ
कहीं ढकने
ढकाने की
सोच रहा
होता है
किसी के
लिखे कपड़े
से कोई
अपनी कुछ
ढक रहा
होता है
हर कपड़ा
किसी के
सब कुछ
ढकने के
लिये भी
नहीं होता है
हर किसी को
यहाँ के भी
पता होता है
हर किसी को
वहाँ के भी
पता होता है
कपड़ा कुछ भी
कभी कहीं भी
ढकने के लिये
नहीं होता है
कुछ बना ले
जाते हैं पुतले
जिन्हें पता होता है
कपड़ा पुतला
जलाने के
लिये होता है
जिसके जलना
शुरु हो जाते हैं
पुतले उसका
अच्छा समय
शुरु हो जाने
का ये एक
अच्छा संकेत
होता है
मौज कर
'उलूक'
तेरे जैसे
बेवकूफों
के पुतले
फुँकवाने
के लिये
"होशियार"
के पास
समय ही
नहीं होता है ।
चित्र साभार: www.shutterstock.com