अभी भी देर नहीं हुई
देर कभी भी नहीं होती
जब भी समझ में आ जाये तभी सुबह हो जाये
पर
रुका कहाँ कहाँ जाये
किसके लिये रुका जाये
कहाँ
जरूरी है चलते चलना
कहाँ
जरूरी है कुछ कुछ रुकना
कुछ देर के लिये ही सही
बस बिना बात यूँ ही ठहर लिया जाये
बस बिना बात यूँ ही ठहर लिया जाये
पूछा भी
किससे जाये कौन सही बताये
कई पीढ़ियाँ
सामने ही अपने गुजरती चली जायें
सामने ही अपने गुजरती चली जायें
रुकी हुई कहीं भी कोई भी नहीं जो रस्ता दिखाये
सब कुछ चलता ही चला जाये
चलना ही सही रुकना है नहीं
किताब में भी लिखा नजर आये
किताब में भी लिखा नजर आये
गिरता भी है कहीं कोई
किसी रास्ते पर कहीं कोई नहीं बताये
किसी रास्ते पर कहीं कोई नहीं बताये
फलसफा जिंदगी का
एक खोटा सिक्का
कभी सीधा गिरे कभी उल्टा हो जाये
गलतफहमियाँ बनी रहें
जिसका जैसा मन कर वैसा समझ ले जाये
कोई
उधर जा कर उसका पढ़े
कोई
इधर आ कर इधर का पढ़ ले जाये
क्या फर्क पढ़ना है
किसी की समझ में अगर कुछ भी ना आ पाये
आना जाना बना रहे
रोज ना भी सही दो चार दिन बाद ही आ जाये
रुकना मना है
आ जाये अगर
तो याद करके बिना भूले भटके
चला भी जाये ।
आ जाये अगर
तो याद करके बिना भूले भटके
चला भी जाये ।
चित्र साभार: www.instantfundas.com