उलूक टाइम्स: बक बका
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बुधवार, 9 जुलाई 2025

छील कुछ दिखा कुछ हाथी के ही सही


कुछ
बक बका दिया कर
हर समय नहीं भी 
कभी
किसी रोज

चाँद
निकलने से पहले
या सूरज डूबने के बाद

किसने
देखना है समय
किसने सुननी है बकबास
जमीन में बैठे ठाले
मिट्टी फथोड़ने वाले से

उबलते दूध के उफना के
चूल्हे से बाहर कूदने के
समीकरण बना
फिर देख

अधकच्चे
फटे छिलकों से झाँकते
मूंगफलियों के दानों की
बिकवाली में उछाल

सब समझ में
आना भी नहीं चाहिए

पालतू कौए का
सफेद कबूतर से
चोंच लड़ाना भी 
गणित ही है

वो बात अलग है
किताब में
सफेद और काले पन्नों की गिनतियाँ
अलग अलग रंगों से नहीं गिनी जाती हैं

इसलिए
उजाले में ही सही निकल कोटर से

दांत
ना भी हों फिर भी
छील कुछ
कुछ दिखा 
हाथी के ही सही

 ‘उलूक’
मर गया और मरा हुआ
दो अलग अलग बातें हैं |

चित्र साभार: https://www.shutterstock.com/