बहुत सी बातें
कई बार किसी
खास मौके पर ही
समझ में आती हैं
कोई हादसा नहीं
हो पाया हो तो
समझने की जरूरत
भी नहीं रह जाती है
एक चिकित्सक के
दिये पर्चे पर जब
नजर जाती है
गोले बने हुऐ से
गोलियाँ
खाने की
संंख्या और
बारम्बारता
एक गधे के लिये
भी समझ लेने वाली
आसान सी एक
बात हो जाती है
बाकी दवाईयों को
समझने की जरूरत
ही कहाँ हो पाती है
दुकान से दवाईयों
के ऊपर भी गोले
बना के समझा
कई बार किसी
खास मौके पर ही
समझ में आती हैं
कोई हादसा नहीं
हो पाया हो तो
समझने की जरूरत
भी नहीं रह जाती है
एक चिकित्सक के
दिये पर्चे पर जब
नजर जाती है
गोले बने हुऐ से
गोलियाँ
खाने की
संंख्या और
बारम्बारता
एक गधे के लिये
भी समझ लेने वाली
आसान सी एक
बात हो जाती है
बाकी दवाईयों को
समझने की जरूरत
ही कहाँ हो पाती है
दुकान से दवाईयों
के ऊपर भी गोले
बना के समझा
ही दी जाती हैं
बहुत बार लगता है
समझ में कुछ
तो आना चाहिये
चिकित्सक महोदय
से पूछने पर बता
भी दी जाती हैं
क्यों होता होगा ऐसा
दिमाग में
जोर डालने की
बात हो जाती है
जब एक ही तरह
के शब्दों से बनी
माला दूसरे के
द्वारा उल्टा कर के
बना दी जाती है
किसने बनाई
किसके लिये बनाई
दोनो कैसे एक
जैसी हो जाती हैं
सही करता है
एक चिकित्सक
इस बात से
बात समझ
में आती है
एक के द्वारा
लिख दी गई दवाई
दूसरे को पता भी
नहीं चल पाती है
बहुत अच्छा
करते हैं
कुछ लोग
कुछ ऐसा
ही लिखकर
जिसे देख कर
उसे दुबारा
छाप लेने की सोच
कहींं और भी
पैदा नहीं
हो पाती है ।
बहुत बार लगता है
समझ में कुछ
तो आना चाहिये
चिकित्सक महोदय
से पूछने पर बता
भी दी जाती हैं
क्यों होता होगा ऐसा
दिमाग में
जोर डालने की
बात हो जाती है
जब एक ही तरह
के शब्दों से बनी
माला दूसरे के
द्वारा उल्टा कर के
बना दी जाती है
किसने बनाई
किसके लिये बनाई
दोनो कैसे एक
जैसी हो जाती हैं
सही करता है
एक चिकित्सक
इस बात से
बात समझ
में आती है
एक के द्वारा
लिख दी गई दवाई
दूसरे को पता भी
नहीं चल पाती है
बहुत अच्छा
करते हैं
कुछ लोग
कुछ ऐसा
ही लिखकर
जिसे देख कर
उसे दुबारा
छाप लेने की सोच
कहींं और भी
पैदा नहीं
हो पाती है ।