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शुक्रवार, 29 जनवरी 2016

एक हैं पी0 सी0 तिवारी

वैसे तो कई हैं
जिन्होने
विद्रोही होने के
दावे खुद ही लिख
खुद ही के सीने
पर टांंके हुऐ हैं
दिखते भी हैं
पैसे भी मिलते हैं
या नहीं मिलते हैं
कभी वो नहीं बांंचे है
उन्हीं के बीच के हैं
पी0 सी0 तिवारी
दिखते वो भी
थोड़ा सा बांंकें हैं
राज्यों से टूट
नये उगे राज्य
छत्तीसगढ़ झारखंड
उत्तराखण्ड में से
सबसे ज्यादा
उसी राज्य के
चूसकों के द्वारा
चूसे गये राज्य
का कथित निवासी
कहलाते हैं
कथित कहा
क्योंकि डर लगा
कोई भी
पूछ सकता है यहाँ
किसी से भी
कैसे कह दिया
यहाँ का है
उसके चेहरे पर
कहाँ ऐसा कुछ है
जो लिखा है
यहाँ तेरे मेरे जैसे
लोगों के लगते
फांंके हैं
वैसे भी यहाँ कोई
कुछ नहीं करता है
जिनको लगता है
वो करते हैं
उनसे क्षमा है
मेरा भ्रम भी
हो सकता है
मुझे क्या लगता है
उसके लिये कोई
कुछ नहीं
कर सकता है
यहाँ हर किसी की
नजर किसी
ना किसी
के फटे के
भीतर होती है
अपनी अपनी
मौज होती है
किसी के पास
इसका बिल्ला
होता है
किसी के पास
उसका बिल्ला
होता है
सबसे बड़ी
मौज में
इसका भी
और उसका भी
एक कुत्ते का
पिल्ला होता है
उधर देश के
लिये सरहद पर
कत्ल होने वालों
में पांंच में से चार
की विधवाओं का
पता किसी दूर
पहाड़ी के निर्जन
गाँव जहाँ तक
गाड़ी की सड़क
भी नहीं पहुंंचती है
का मिलता है
युवा यहाँ सोचता नहीं
कहने पर चलता है
ठेकेदारी छोटी मोटी
कर लेने से
उसका काम चल
निकलता है
पी0 सी0 तिवारी
जैसे लोग सत्ता के
काम बिगाड़ते है
झाडू से सफाई
करवाने वाले मंत्री
प्रधानमंत्री लोग
पी0 सी0 तिवारी को
कौन सा पहचानते हैं
उस आदमी की
क्या बात करनी
इस देश में जो
ना सोनिया का है
ना मोदी का है
पी0 सी0 तिवारी 

जो जेल में है
आदमी के एक्ट से
आदमी के खेल में है
ईमानदार लोग
जासूस लोग
सब जानते हैं
मजबूर होते हैं
 सरकारी
लोग होते हैं
कुछ नहीं
कर सकते हैं
यही बस
नहीं मानते हैं
बहुत कुछ है
लिखने से
क्या होना है
इस देश में
कुत्तों के लिये
हर जगह सोना है
किसी ने यूँ ही
पूछा ‘उलूक’
से आज भाजपा
का कोई
चप्पा चप्पा
आ रहा है
क्या वहाँ जा रहे हो
‘उलूक’ ने बोला
‘पी सी तिवारी'
जैसे समाज के
आदमी का
आदमी हूँ 
वो खुद ही 
अंदर हो चुका है 
क्या जेल में मुझे भी 
डालने जा रहे हो 
नैनीसार की जमीन 
उत्तराखण्ड की
जमीन ही नहीं है 
मोदी जी और 
रावत जी
भी जानते हैं
तुम में कितनी
हिम्मत है
उत्तराखण्डी
तुम भी अपनी
अपनी औकात 
पहचानते हो ।

गुरुवार, 12 अप्रैल 2012

टीम स्प्रिट

चलो एक
दल बनायें
चलो देश
को बचायें

कांंग्रेस
भाजपा
सपा बसपा
सबको मिलायें

हाथ में कमल
को खिलायें
साईकिल को
हाथी पर चढ़ायें

चलो लोगों
को बतायें
एक रहने के
फायदे गिनायें

चलो
घंटियां बजाये
चुनाव
बंद करवायें

चलो
खर्चा बचायें
जो बचे
बांट खायें

चलो
ईमानदारी
दिखायें

चलो
उल्लू बनायें

चलो
दिल से
दिल मिलायें

चलो
प्रेम की
भाषा सिखायें

चलो
मिल कर
घूस खायें

चलो
अन्ना को
भगायें

चलो
लोकपाल
ले कर आयें
केजरीवाल
को फसांये

चलो
अब तो
समझ जायें
हंसी अपनी
ना उड़वाये

आडवाणी जी
का हाथ
सोनिया जी
को दे
कर आयें

चलो
सामने
तो आयें
पीछे पीछे
ना मुस्कायें

चलो
एक
दल बनायें

चलो
देश
को बचायें।

बुधवार, 28 मार्च 2012

सरकारी

सरकार
की नौकरी
करने वाले
सरकारी नौकर
कहलाते हैं

गवर्न्मेंट सर्वेंट
कहलाते हैं

सरकार
बदलने से
कभी नहीं
घबराते हैं

कुछ लोग
जो सरकारी
नौकरी में
नहीं होते हैं
वो भी यहाँ
सरकारी
होना शुरु
हो जाते हैं

देख रहा हूँ
पिछली भाजपा
सरकार में
जो सरकारी
हो गया था
वो काँग्रेस की
सरकार को
आता हुवा
देख कर
कुछ दिन
के लिये
बैक फुट पर
चला गया था

इधर नयी
सरकार को
बनने सवरने
संभलने में
समय बीता
जा रहा था
उधर
वो अपनी
कैंचुली का
ड्राईक्लीन
करवा रहा था

पिछले साल
नवसंवत्सर
पर वो घर पर
गेरूवा झंडा
फहरा रहा था

इस बार
पूछने पर
हैप्पी न्यू इयर
1 जनवरी को
कर चुका है
ये बता रहा था

कुछ
कुछ अंदाज
मुझको भी
आ रहा था

प्रधानाचार्य का
कार्यकाल पूरा
होने जा रहा था

वो शुरू
हो चुका था

दूर की कोड़ी
पकड़ने को
अभी से
जा रहा था ।