उलूक टाइम्स: भावनाऐं
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शनिवार, 23 मई 2015

जरूरी कितना जरूरी और कितनी मजबूरी

दुविधाऐं
अपनी अपनी
देखना सुनना
अपना अपना
लिखना लिखाना
अपना अपना
पर होनी भी
उतनी ही जरूरी
जितनी अनहोनी
दुख: सुख: अहसास
खुद के आस पास
बताना भी उतना
ही जरूरी जितना
जरूरी छिपाना
खुद से ही खुद
को कभी कभी
खुद के लिये ही
समझाना भी
बहुत जरूरी
समझ में आ जाने
के बाद की मजबूरी
परेशानी का आना
स्वागत करना भी
उतना ही जरूरी
जितना करना
उसके नहीं आने
की कल्पना के साथ
कुछ कुछ कहीं
कभी जी हजूरी
भावनाऐं अच्छी भी
उतनी ही जरूरी
जितनी बुरी कुछ
बुरे को समझने
बूझने के लिये
निभाने के लिये
अच्छाई के
साथ बुराई
बुराई के
साथ अच्छाई
बनाते हुऐ कुछ
नजदीकियाँ
साथ लिये हुऐ
बहुत ज्यादा नहीं
बस थोड़ी सी दूरी
सौ बातों की एक बात
समय के मलहम
से भर पायें घाव
समय के साथ
समय की आरी से
कहीं कुछ कटना
कुछ फटना भी
उतना ही जरूरी ।

चित्र साभार: chronicyouth.com

मंगलवार, 28 मई 2013

सरकार होती है किसकी होती है से क्या ?


अब भाई होती है 
हर जगह एक सरकार बहुत जरूरी होती है 

चाहे बनाई गयी हो 
किसी भी प्रकार 
घर की सरकार दफ्तर की सरकार
शहर की सरकार जिला प्रदेश होते हुऎ
पूरे देश की सरकार 

कुछ ही लोग बने होते हैं 
सरकार बनाने के लिये 
उनको ही बुलाया जाता है हमेशा हर जगह 
सरकार को चलाने के लिये 

कुछ नाकारा भी होते हैं 
बस सरकार के काम करने के तरीके पर 
बात की बात बनाने वाले 

काम करने वाले
काम 
करते ही चले जाते हैं 
बातें ना खुद बनाते हैं 
ना बाते बनाने वालों की बातों से
परेशान 
हो गये हैं कहीं दिखाते हैं 

छोटी छोटी सरकारें 
बहुत काम की सरकारें होती हैं 

सभी दल के लोग
उसमें 
शामिल हुऎ देखे जाते हैं 
दलगत भावनाऎं
कुछ 
समय के लिये अपने अंदर दबा ले जाते हैं 

बडे़ बडे़ काम 
हो भी जाते हैं पता ही नहीं चलता है 
काम करने वाले काम के बीच में
बातों को 
कहीं भी नहीं लाते हैं 

छोटी सरकारों से 
गलतियाँ भी नहीं कहीं हो पाती है 
सफाई से हुऎ होते हैं 
सारे कामों के साथ साथ 
गलतियाँ भी आसानी से सुधार ली जाती हैं 

तैयारी होती है तो 
मदद भी हमेशा 
मिल ही जाती है 
गलती खिसकती भी है तो
अखबार तक पहुँचने 
से पहले ही पोंछ दी जाती है 

ज्यादा परेशानी होने पर 
छोटी सरकार के हिस्से 
आत्मसम्मान अपना जगाते हैं 
अपनी अपनी पार्टी के झंडे निकाल कर ले आते हैं 

मिलकर काम करने को 
कुछ दिन के लिये टाल कर
देश बचाने के 
काम में लग जाते हैं 
बड़ी सरकार की बड़ी गलतियों से
छोटी सरकारों की छत्रियां बनाते हैं 

बडी सरकार में भी 
तो
इनके पिताजी 
लोग ही तो होते हैं 
वो भी तुरंत कौल का गेट बंद कर कुछ दिन 
आई पी एल की फिक्सिंग का ड्रामा 
करना शुरु हो जाते हैं । 

चित्र साभार: https://www.gograph.com/