लिखना बंद हुआ ‘उलूक’ कुछ दिन
मगर क्यों हुआ समझ में ही नहीं आया
मगर क्यों हुआ समझ में ही नहीं आया
पढ़ना बंद किया लोगों ने
क्यों कोई आस पास लिखे के नजर नहीं आया
क्यों कोई आस पास लिखे के नजर नहीं आया
सोचेंगे ही नहीं अब पढ़ने वालों के बारे में
एक नया साल है अब आया
एक नया साल है अब आया
लिखेंगे मनमौजी कुछ भी कहीं भी
लिखने वाला आँखिर क्यों कर शरमाया
लिखने वाला आँखिर क्यों कर शरमाया
लिख रहे है ‘रविकर’ लिख रहे हैं ‘विश्वमोहन’
‘रूपचन्द्र’ का लिखना कौन रोक पाया
‘रूपचन्द्र’ का लिखना कौन रोक पाया
विद्वानों की पंक्ति इतनी सी भी नहीं है
एक से एक हैं यहाँ ये आया वो भी आया
एक से एक हैं यहाँ ये आया वो भी आया
दूरदर्शन अखबार समाचार सब ही आभासी हैं
सब जानते हैं लोग किस ने है कब्जाया
सब जानते हैं लोग किस ने है कब्जाया
चिट्ठा ज़िंदा है अभी कुछ
कुछ कुछ हैं चिट्ठाकार
लिखते हैं निर्भीक कुछ नहीं कमाया
कुछ कुछ हैं चिट्ठाकार
लिखते हैं निर्भीक कुछ नहीं कमाया
कुछ लिखते अपनी कुछ लिखते हैं पतंग
कुछ ने दिनचर्या लिखने का मन है बनाया
कुछ ने दिनचर्या लिखने का मन है बनाया
‘उलूक’ लिखता है भडास हमेशा
बकवास को पढ़ने कौन इच्छा से सामने है आया
बकवास को पढ़ने कौन इच्छा से सामने है आया
चित्र साभार: https://in.pinterest.com/pin/607493437217436922/