गुरु जी
झूठ नहीं बोलूंगा
आपसे तो
कम से कम नहीं
बस एक
पव्वा ही लगाया है
बिना लगाये जाओ तो
काम नहीं हो पाता है
साहब कुछ
समझता ही नहीं
डाँठता चला जाता है
खुश्बू लगा
के जाओ तो
कुर्सी में बैठाता है
तुरत फुरत
पी ए को
बुलाता है
थोड़ा नाक
सिकौड़ कर
फटाफट
दस्तखत कर
कागज लौटाता है
भैया अगर
खुश्बू से
काम चल
ही जाता है
तो फिर छिड़क
कर जाया करो
पी के अपने स्वास्थ
को ना गिराया करो
दिन में ही
शुरू हो जाओगे
तो कितने
दिन जी पाओगे
गुरू जी आप तो
सब जानते हैं
बड़े बड़े आपका
कहना मानते हैं
पर ये लोग बहुत
खिलाड़ी होते हैं
शरीफ आदमी
इनके लिये
अनाड़ी होते हैं
एक दिन
मैंंने
एसा ही
किया था
कोट पर
थोड़ा गिरा
कर दारू
साहब के पास
चला गया था
साहब ने
उस दिन
कोट मुझसे
तुरंत उतरवाया था
दिन दोपहरी
धूप में मुझे
दिन भर
खड़ा करवाया था
तब से जब भी
पेंशन लेने जाता हूँ
अपने अंदर ही भर
कर ले जाता हूँ
मेरे अंदर की खुश्बू
कैसे सुखा पायेगा
खड़ा रहूँगा जब तक
सूंघता चला जायेगा
उसे भी पीने की
आदत है वो कैसे
खाली खुश्बू
सूंघ पायेगा
तुरंत
मेरा काम
वो करवायेगा
मेरा काम
भी हो जायेगा
उसको भी चैन
आ जायेगा।
झूठ नहीं बोलूंगा
आपसे तो
कम से कम नहीं
बस एक
पव्वा ही लगाया है
बिना लगाये जाओ तो
काम नहीं हो पाता है
साहब कुछ
समझता ही नहीं
डाँठता चला जाता है
खुश्बू लगा
के जाओ तो
कुर्सी में बैठाता है
तुरत फुरत
पी ए को
बुलाता है
थोड़ा नाक
सिकौड़ कर
फटाफट
दस्तखत कर
कागज लौटाता है
भैया अगर
खुश्बू से
काम चल
ही जाता है
तो फिर छिड़क
कर जाया करो
पी के अपने स्वास्थ
को ना गिराया करो
दिन में ही
शुरू हो जाओगे
तो कितने
दिन जी पाओगे
गुरू जी आप तो
सब जानते हैं
बड़े बड़े आपका
कहना मानते हैं
पर ये लोग बहुत
खिलाड़ी होते हैं
शरीफ आदमी
इनके लिये
अनाड़ी होते हैं
एक दिन
मैंंने
एसा ही
किया था
कोट पर
थोड़ा गिरा
कर दारू
साहब के पास
चला गया था
साहब ने
उस दिन
कोट मुझसे
तुरंत उतरवाया था
दिन दोपहरी
धूप में मुझे
दिन भर
खड़ा करवाया था
तब से जब भी
पेंशन लेने जाता हूँ
अपने अंदर ही भर
कर ले जाता हूँ
मेरे अंदर की खुश्बू
कैसे सुखा पायेगा
खड़ा रहूँगा जब तक
सूंघता चला जायेगा
उसे भी पीने की
आदत है वो कैसे
खाली खुश्बू
सूंघ पायेगा
तुरंत
मेरा काम
वो करवायेगा
मेरा काम
भी हो जायेगा
उसको भी चैन
आ जायेगा।