तीन अक्षर
शब्द शिशिर
शब्द शिशिर
दिशाहीन की कोशिश
लिखने की दिशायें
धवल उज्जवल
प्रयास लिखे में दिखाने की
कड़ाके की ठण्ड
सिकुड़ती सोच
शब्द वाक्यों पर बनाता हुआ एक बोझ
कम होता शब्दों का तापमान
दिखती कण कण में सोच
ओढ़े सुनहली ओस
वसुन्धरा अम्बर होते एकाकार
आदमी के मौसम होने की
जैसे हो उन्हें दरकार
लिये हुऐ सूर्य की तरह
अमृत बरसाने की चाहत
सभी पूर्वाग्रह छोड़ कर
लिखने लिखाने को कुछ दे कर राहत
प्रकृति के नियम से बंधे मौसम के गुनगुने भाव
बर्फीले शब्द के साथ देते शब्द ही
अहसास जलते हुऐ कुछ मीठे अलाव
‘उलूक’
कोई नहीं
होता है
होता है
कभी धारा के साथ कभी धारा के विपरीत
चलाता चल अपनी
चलाता चल अपनी
बिना चप्पुओं की खचड़ा सी नाव ।
चित्र साभार: https://www.gograph.com