रेगिस्तान की रेत के
बीच का कैक्टस
फूलोंं के बीज बेच रहा है
कैक्टस
बहुत कम लोग पसंद करते हैं
कम से कम
वास्तु शास्त्री की बातों को
मानने वाले तो कतई नहीं
कुछ रखते हैं गमलों में
क्योंकि फैशन है रखने का
पर किंवदंतियों के भूत से भी
पीछा नहीं छुड़ा पाते हैं
गमले
घर के पिछवाड़े रख कर आते हैं
कैक्टस के कांटे निकलने
का मौसम अभी नहीं है
आजकल उनमें फूल आते हैं
फूल के बीज बिक रहे हैं बेतहाशा भीड़ है
और भीड़ की
बस दो ही आँखें होती हैं
उनको कैक्टस से कोई मतलब नहीं होता है
उनके सपने में फूल ही फूल तो आते हैं
काँटो से लहूलुहान ऐसे लोग
भूखी बिल्ली की तरह होते हैं
जो बस दूध की फोटो देख कर ही तृप्त हो जाते हैं
इसी भूख को बेचना सिखाने वाले कैक्टस
उस मौसम में
जब उनके काँटे गिर चुके होते हैं
और कुछ फूल
जो उनके बस फोड़े होते हैं
जो उनके बस फोड़े होते हैं
सामने वाले को फूल जैसे ही नजर आते हैं
सारे फूलों को फूलों के बीज बेचना सिखाते हैं
फूल कैक्टस को महसूस नहीं करते हैं
उसके फूलों पर फिदा हो जाते हैं
और बेचना शुरु कर देते हैं कैक्टस के बीज
‘उलूक’
बहुत दूर तक देखना अच्छा नहीं है
कांटे तेरे दिमाग में भी हैं
जिनपर फूल कभी भी नहीं आते हैं
कैक्टस
इसी बात को बहुत सफाई के साथ
भुना ले जाते हैं
और यूँ ही खेल ही खेल में
सारे के सारे बीज बिक जाते हैं
देखना भर रह गया है
कितने बीजों से
रक्तबीज फिर से उग कर आते हैं ।