कुछ तो जरूर होता है
हर किसी के साथ
अलग अलग सा
कितने भी अजीज
और कितने भी पास हों
जरूरी नहीं होता है
एक लम्हे का
हो जाना वही
जैसा सोच में हो
एक लम्हे को
होना ही होता है
किसी लिये कुछ
और किसी के लिये
कुछ और ही
अपने खुश लम्हे
को उसके उदास
लम्हे में बदल लेना
ना इसके हाथ
में होता है
ना ही उसके
हाथ में होता है
कहते हैं आत्मा में
हर एक के
भगवान होता है
और जब इसके हाथ में
उसका हाथ होता है
एक दूसरे के बहुत ही
पास में होता है
लम्हा एक होता है
इसके लिये भी
और उसके लिये भी
बस इसका लम्हा
उसके लम्हे के पास
कहीं नहीं होता है
ना इसे पता होता है
ना उसे पता होता है
एक लम्हे को अपने
से ही कैसा ये
विरोधाभास होता है ।
हर किसी के साथ
अलग अलग सा
कितने भी अजीज
और कितने भी पास हों
जरूरी नहीं होता है
एक लम्हे का
हो जाना वही
जैसा सोच में हो
एक लम्हे को
होना ही होता है
किसी लिये कुछ
और किसी के लिये
कुछ और ही
अपने खुश लम्हे
को उसके उदास
लम्हे में बदल लेना
ना इसके हाथ
में होता है
ना ही उसके
हाथ में होता है
कहते हैं आत्मा में
हर एक के
भगवान होता है
और जब इसके हाथ में
उसका हाथ होता है
एक दूसरे के बहुत ही
पास में होता है
लम्हा एक होता है
इसके लिये भी
और उसके लिये भी
बस इसका लम्हा
उसके लम्हे के पास
कहीं नहीं होता है
ना इसे पता होता है
ना उसे पता होता है
एक लम्हे को अपने
से ही कैसा ये
विरोधाभास होता है ।