उलूक टाइम्स: लम्हे
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शनिवार, 31 दिसंबर 2022

लम्हे

 


कुछ लम्हे मुट्ठी के अंदर
कुछ लम्हे मुट्ठी के बाहर
कुछ लम्हे बिछे सड़क में
कुछ लम्हे तो हो गए शायर


लम्हे लम्हे सिमटा जीवन
लम्हे लम्हे बिखरा जीवन
किसने पकड़े किसने जकड़े
लम्हे बहके लम्हे संभले
मन ही मन


लम्हे दर लम्हे पीड़ा
लम्हे दर लम्हे दुख
कर बस कर वंदन
लम्हे दर लम्हे खुशियां
लम्हे दर लम्हे चंदन
चन्दन


लम्हे चिढ़ के लम्हे गुस्सों के
लम्हे मार पीट के
गिन मधुबन
लम्हे चीर फाड़ के
लम्हे प्यार बाँट के
जोड़ घटा
शबनम शबनम


लम्हे के पीछे मन
लम्हे के आगे तन
लम्हों से बिखरा आँगन
लम्हे पाठक के
बस नव वर्ष का स्वागतम |

चित्र साभार: https://www.youtube.com/watch?v=iFHpIMzVO3Y

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शनिवार, 9 नवंबर 2013

कई बार होता है लम्हे का पता लम्हे को नहीं होता है

कुछ तो जरूर होता है
हर किसी के साथ
अलग अलग सा
कितने भी अजीज
और कितने भी पास हों
जरूरी नहीं होता है
एक लम्हे का
हो जाना वही
जैसा सोच में हो
एक लम्हे को
होना ही होता है
किसी लिये कुछ
और किसी के लिये
कुछ और ही
अपने खुश लम्हे
को उसके उदास
लम्हे में बदल लेना
ना इसके हाथ
में होता है
ना ही उसके
हाथ में होता है
कहते हैं आत्मा में
हर एक के
भगवान होता है
और जब इसके हाथ में
उसका हाथ होता है
एक दूसरे के बहुत ही
पास में होता है
लम्हा एक होता है
इसके लिये भी
और उसके लिये भी
बस इसका लम्हा
उसके लम्हे के पास
कहीं नहीं होता है
ना इसे पता होता है
ना उसे पता होता है
एक लम्हे को अपने
से ही कैसा ये
विरोधाभास होता है ।