सालों हो गये
कुछ लिख लेने की चाह में
कुछ लिखते लिखते पहुँच गये
आज इस राह में
कुछ लिख लेने की चाह में
कुछ लिखते लिखते पहुँच गये
आज इस राह में
शेरो शायरी खतो किताबत
पता नहीं क्या क्या सुना गया लिखा गया
याद कुछ नहीं रहा
बस एक मेरे लिखे को
तेरे समझ लेने की चाह में
पता नहीं क्या क्या सुना गया लिखा गया
याद कुछ नहीं रहा
बस एक मेरे लिखे को
तेरे समझ लेने की चाह में
वो सारे
तलवार लिये बैठे हैं हाथ में
सालों से
कलम छोड़ कर बेवकूफ
तू लगता है
ले कर बैठेगा एक कलम भी कब्रगाह में
उनके साथ हैं
उन की जैसी सोच के लोग हैं
और
बड़ी भीड़ है
उन की जैसी सोच के लोग हैं
और
बड़ी भीड़ है
कोई बात नहीं है
तेरा जैसा है ना एक आईना
देख ले खुश हो ले
तेरे साये में है
तेरा जैसा है ना एक आईना
देख ले खुश हो ले
तेरे साये में है
झूठ के साथ हैं
कई झूठ हैं सब साथ में हैं
आज हैं और डरे हुऐ हैं
डराने में हैं
जहर खा लो कह लो
कह देने वाले
कहीं कोने में बैठे हैं बेगानों में हैं
कई झूठ हैं सब साथ में हैं
आज हैं और डरे हुऐ हैं
डराने में हैं
जहर खा लो कह लो
कह देने वाले
कहीं कोने में बैठे हैं बेगानों में हैं
‘उलूक’
लिखना है तुझे
कुछ बकवास सा ही हमेशा
कोई
कर नहीं लगना है
इस वित्तीय साल का
अंतिम महीना भी अब
कुछ कुछ
निकल जाने में है।
चित्र साभार: https://www.dreamstime.com/
लिखना है तुझे
कुछ बकवास सा ही हमेशा
कोई
कर नहीं लगना है
इस वित्तीय साल का
अंतिम महीना भी अब
कुछ कुछ
निकल जाने में है।
चित्र साभार: https://www.dreamstime.com/