सालों हो गये
कुछ लिख लेने की चाह में
कुछ लिखते लिखते पहुँच गये
आज इस राह में
कुछ लिख लेने की चाह में
कुछ लिखते लिखते पहुँच गये
आज इस राह में
शेरो शायरी खतो किताबत
पता नहीं क्या क्या सुना गया लिखा गया
याद कुछ नहीं रहा
बस एक मेरे लिखे को
तेरे समझ लेने की चाह में
पता नहीं क्या क्या सुना गया लिखा गया
याद कुछ नहीं रहा
बस एक मेरे लिखे को
तेरे समझ लेने की चाह में
वो सारे
तलवार लिये बैठे हैं हाथ में
सालों से
कलम छोड़ कर बेवकूफ
तू लगता है
ले कर बैठेगा एक कलम भी कब्रगाह में
उनके साथ हैं
उन की जैसी सोच के लोग हैं
और
बड़ी भीड़ है
उन की जैसी सोच के लोग हैं
और
बड़ी भीड़ है
कोई बात नहीं है
तेरा जैसा है ना एक आईना
देख ले खुश हो ले
तेरे साये में है
तेरा जैसा है ना एक आईना
देख ले खुश हो ले
तेरे साये में है
झूठ के साथ हैं
कई झूठ हैं सब साथ में हैं
आज हैं और डरे हुऐ हैं
डराने में हैं
जहर खा लो कह लो
कह देने वाले
कहीं कोने में बैठे हैं बेगानों में हैं
कई झूठ हैं सब साथ में हैं
आज हैं और डरे हुऐ हैं
डराने में हैं
जहर खा लो कह लो
कह देने वाले
कहीं कोने में बैठे हैं बेगानों में हैं
‘उलूक’
लिखना है तुझे
कुछ बकवास सा ही हमेशा
कोई
कर नहीं लगना है
इस वित्तीय साल का
अंतिम महीना भी अब
कुछ कुछ
निकल जाने में है।
चित्र साभार: https://www.dreamstime.com/
लिखना है तुझे
कुछ बकवास सा ही हमेशा
कोई
कर नहीं लगना है
इस वित्तीय साल का
अंतिम महीना भी अब
कुछ कुछ
निकल जाने में है।
चित्र साभार: https://www.dreamstime.com/
बहुत बढ़िया।👌🌻
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2057..."क्या रेड़ मारी है आपने शेर की।" ) पर गुरुवार 04 मार्च 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंउलूक वित्तीय वर्ष के आख़िरी महीने के किसी मुगालते में न रहे.
जवाब देंहटाएंटैक्स उस से क्या, वह तो उसके साये से भी वसूला जाएगा वह भी 24X365 के हिसाब से.
‘उलूक’ लिखना है तुझे
जवाब देंहटाएंकुछ बकवास सा ही हमेशा
कोई कर नहीं लगना है
इस वित्तीय साल का अंतिम महीना भी अब
कुछ कुछ निकल जाने में है।
... व्यंग विधा में आपने अपनी उत्कृष्ठता को कायम रखते हुए, एक सुन्दर रचना का सृजन किया है। हमेशा की तरह प्रभावशाली। ।।बहुत-बहुत शुभकामनाएं। ।।।
बहुत ही सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंझरने की तरह बहता।
सादर
अद्भुत छिपे छिपे तंज व्यवस्था पर भी प्रहार।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब सर।
बेहतरीन रचना।
जवाब देंहटाएंभीड़ के साथ होना शायर का काम नहीं, उसकी कलम से बढ़कर उसके लिए मरने के बाद भी कोई अच्छा इंतजाम नहीं, उम्दा लेखन !
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 05-03-2021) को
"ख़ुदा हो जाते हैं लोग" (चर्चा अंक- 3996) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद.
…
"मीना भारद्वाज"
बस कुछ लिखते चलिए . सृजन होना चाहिए .
जवाब देंहटाएंNice Post :- skymovieshd, skymovieshd.in, skymovieshd movies Download in Hindi | Bollywood Hollywood movie download
हटाएंक्या बात है
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंवाह!बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया! सुंदर व्यंगात्मक रचना..
जवाब देंहटाएंइसबार कुछ अलग तरह की बहुत शानदार रचना
जवाब देंहटाएंआप बहुत सटीक कटाक्ष करते हैं
सादर
ख़ूब कही सुशील जी आपने ।
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह लाज़बाब,सादर नमन सर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर व्यंगात्मक रचना।
जवाब देंहटाएंतीखा कटाक्ष... बहुत शानदार ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंsarcastic but beautifully written.
जवाब देंहटाएंतीखा व्यंग्य...वो सारे
जवाब देंहटाएंतलवार लिये बैठे हैं हाथ में
सालों से
कलम छोड़ कर बेवकूफ
तू लगता है
ले कर बैठेगा एक कलम भी कब्रगाह में...वाह जोशी जी
बहुत बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंNice Post :- skymovieshd, skymovieshd.in, skymovieshd movies Download in Hindi | Bollywood Hollywood movie download
जवाब देंहटाएंक्या बात सर आपका अंदाज़ आपका तंज़ आपका व्यंग ... वाह ... वाह ...
जवाब देंहटाएं