ख्वाब देखने में कोई हर्ज भी नहीं है
ना ही ख्वाब अपना किसी को बताने में
कोई लिहाज है
बहुत पुराना है
आज तेरे जाने के बाद चूँकि
आ रहा कुछ याद है
मैंने जब जब तुझे देखा था
मुझे कुछ हमेशा ही लगा था
कि जैसे कोई ख्वाब देखना चाहिये
और जो बहुत ही जरूरी भी होना चाहिये
जरूरी जैसे तू और तेरा आना शहर को
और शहर से वापस अपने गाँव को रोज का रोज
चला जाना बिना नागा
चला जाना बिना नागा
हमेशा महसूस होता था जैसे
तुझे यहाँ नहीं कहीं और होना चाहिये था
जैसे कई लोग पहुँच जाते है
कई ऐसी जगहों पर
जहाँ उन्हें कतई नहीं होना चाहिये
तू भी तो इंटर पास था
मंत्री वो भी उच्च शिक्षा का
सोचने में क्या जाता है
और सच में
मैंने सच में कई बार
जब तू सड़क पर बैठा
अखबार पढ़ रहा होता था
बहुत गहराई से इस पर सोचा था
जो लोग तुझे जानते थे या जानने का दावा करते थे
उनकी बात नहीं कर रहा हूँ
उनकी बात नहीं कर रहा हूँ
मैं अपनी बात कर रहा हूँ
तू भी तो मेरा जैसा ही था
जैसा मैं रोज कुछ नहीं करता हूँ
तेरी दिनचर्या मेरी जैसी ही तो होती थी हमेशा से
रोज तेरा कहीं ना कहीं शहर की किसी गली में मिलना
तेरी हंसी तेरा चलने का अंदाज
सब में कुछ ना कुछ अनोखा
तू बुद्धिजीवी था
ये मुझे सौ आना पता था
अफसोस
मैं सोच सोच कर भी नहीं हो पाया कभी भी
और अभी भी मैं वहीं रह गया
तू उठा उठा
और उठते उठते
कहाँ से कहाँ पहुँच गया
तेरे चले जाने की खबर देर से मिली
जनाजे में शामिल नहीं हुआ
अच्छा जैसा नहीं लगा
कोई नहीं
तू जैसा था सालों पहले वैसा ही रहा
और वैसा ही उसी तरह से
इस शहर से चला गया
हमेशा के लिये
तेरी कमी खलेगी
जब रोज कहीं भी किसी गली में
तू नहीं मिलेगा
पर याद रहेगा
कुछ लोग सच में बहुत दिनों तक याद रह जाते हैं
हम उनकी श्रद्धाँजलि सभा नहीं भी कराते हैं
शहर के संभ्रांत लोगों की भीड़ में
तब भी ।