कहीं भी
नहीं
होने का
अहसास
भी होता है
जर्रे जर्रे
में होने का
भ्रम भी
हो जाता है
अपने अपने
पन्नों की
दुनियाँ में
अपना अपना
कहा जाता है
पन्नों के ढेर
लग जाते हैं
किताब
हो जाना
नहीं
हो पाता है
ढूँढने की
कोशिश में
एक छोर
दूसरा
हाथ से
फिसल
जाता है
ऐसी
आभासी
दुनियाँ के
आभासों में
तैरते उतराते
एक पूरा साल
निकल जाता है
आभासी होना
हमेशा नहीं
अखरता है
किसी दिन
नहीं होने में
ही होने का
मतलब भी
यही
समझाता है
आभार
आभासी
दुनियाँ
आभार
कारवाँ
आभार
मित्रमण्डली
एक
छोटा सा
जन्मदिन
शुभकामना सन्देश
स्नेह
शुभाशीष
शुभकामनाओं का
एक ही
दिन में
कितने कितने
अहसास
करा जाता है
आल्हादित
होता होता
अपने होने
के एहसास
से ही ‘उलूक’
स्नेह की
बौछारों से
सरोबार
हो जाता है।
चित्र साभार: My Home Reference ecards
नहीं
होने का
अहसास
भी होता है
जर्रे जर्रे
में होने का
भ्रम भी
हो जाता है
अपने अपने
पन्नों की
दुनियाँ में
अपना अपना
कहा जाता है
पन्नों के ढेर
लग जाते हैं
किताब
हो जाना
नहीं
हो पाता है
ढूँढने की
कोशिश में
एक छोर
दूसरा
हाथ से
फिसल
जाता है
ऐसी
आभासी
दुनियाँ के
आभासों में
तैरते उतराते
एक पूरा साल
निकल जाता है
आभासी होना
हमेशा नहीं
अखरता है
किसी दिन
नहीं होने में
ही होने का
मतलब भी
यही
समझाता है
आभार
आभासी
दुनियाँ
आभार
कारवाँ
आभार
मित्रमण्डली
एक
छोटा सा
जन्मदिन
शुभकामना सन्देश
स्नेह
शुभाशीष
शुभकामनाओं का
एक ही
दिन में
कितने कितने
अहसास
करा जाता है
आल्हादित
होता होता
अपने होने
के एहसास
से ही ‘उलूक’
स्नेह की
बौछारों से
सरोबार
हो जाता है।
चित्र साभार: My Home Reference ecards