उलूक टाइम्स: सावन के अंधे
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बुधवार, 24 जुलाई 2013

आज गिरोह बनायेगा कल पक्का छा जायेगा



सावन के
अंधे की
तरह हो
जायेगा

समय के
साथ अगर
बदल
नहीं पायेगा

कोई
कुछ नहीं
देखेगा जहां

वहाँ तुझको
सब हरा हरा ही
नजर आयेगा

पिताजी ने
बताया होगा
कोई रास्ता
उस जमाने में कभी

भटकने से
तुझे वो भी
नहीं बचा पायेगा

अपने लिये
आखिर
कब तक
खुद ही
सोचता
रह जायेगा

गिरोह में
शामिल अगर
नहीं हो पायेगा

बेवकूफी
के साथ
दो करोड़
घर में
रख जायेगा

आबकारी
आयुक्त
की तरह
लोकपाल
के पंजे मे
जा कर
फंस जायेगा

समझदारी
के साथ
एक झंडा
उठायेगा

उंगली भी
कोई नहीं
कभी
उठा पायेगा

अपना
और अपने
लोगों का तो
करेगा ही
बहुत कुछ भला

गिरोह के
लिये भी
कुछ कर पायेगा

करोड़ों
की योजना
परियोजना
बनायेगा

सबका हिस्सा
टाईम पर
दे के आयेगा

झुक कर
करता चलेगा
रोज बस नमस्कार

बस एक बार
काम का बस भोंपू
बना कर बजायेगा

आज
गिरोह के लिये
झंडा एक उठायेगा

कल
खुद गिरोह के
झंडे में
नजर आयेगा

एक बेवकूफ
दो करोड़ के साथ
घर में
पकड़ा जायेगा
जेल पहुँच जायेगा

तू दस करोड़
भी ले जायेगा
लाल बत्ती की
कार के साथ
कहीं बैठा भी
दिया जायेगा

निर्वात
पैदा होने
की चिंता
कोई भी
नहीं कर पायेगा

निकलते ही
तेरे ऊपर

नीचे से एक
नया गिरोहबाज
तैयार खड़ा
तुझे मिल जायेगा ।