जब भी तू
समझाने की
कोशिश करता है
दो और दो चार
कोई भाव
नहीं देता है
सब ही कह देते हैं
दूर से ही नमस्कार
जमाने की नब्ज में
बैठ कर जिस दिन
शुरु करता है तू
शब्दों के
साथ व्यभिचार
जयजयकार गूँजती
है चारों ओर
और समझ में
आना शुरु होता है
उसी क्षण से व्यवहार।
समझाने की
कोशिश करता है
दो और दो चार
कोई भाव
नहीं देता है
सब ही कह देते हैं
दूर से ही नमस्कार
जमाने की नब्ज में
बैठ कर जिस दिन
शुरु करता है तू
शब्दों के
साथ व्यभिचार
जयजयकार गूँजती
है चारों ओर
और समझ में
आना शुरु होता है
उसी क्षण से व्यवहार।