सौ में से
निनानवे
शरीफ
होते हैं
उनको
होना ही
होता है
होता वही है
जो वो चाहते हैं
बचा हुआ बस
एक ही होता है
जो नंगा होता है
उसे नंगा
होना ही
होता है
उसके
बारे में
निनानवे ने
सबको
बताया
होता है
समझाया
होता है
बस वो ही
होता है
जो उनका
जैसा नहीं
होता है
निनानवे
सब कुछ
सम्भाल
रहे होते हैं
सब कुछ
सारा कुछ
उन के
हिसाब से
हो रहा
होता है
शराफत
के साथ
नंगा
देख रहा
होता है
सब कुछ
कोशिश कर
रहा होता है
समझने की
मन्द बुद्धि
होना पाप
नहीं होता है
नहीं समझ
पाता है
होते हुऐ
सब कुछ को
जिसे सौ में
से निनानवे
कर रहे होते हैं
कुछ
कर पाना
नंगे के
बस में
नहीं हो
रहा होता है
नंगा हम्माम
में ही होता है
नहा भी
रहा होता है
निनानवे
को कोई
फर्क नहीं
पड़ रहा
होता है
अगर
एक कहानी
बना कर
उनकी अपने
साथ कहीं
कोई चिपका
रहा होता है
नंगे
‘उलूक’
ने सीखी
होती हैं
बहुत सारी
नंगई
लिखने
लिखाने
को
नंगई पर
एक भी
निनानवे
में से
कहीं भी
नहीं आ
रहा होता है
निनानवे का
‘राम’ भी
कुछ नहीं
कर सक
रहा होता है
उस
“बेवकूफ” का
जो जनता
को छोड़ कर
अपनी
बेवकूफी
के साथ
खुद को
नीरो
मान कर
समझ कर
रोम का
अपने
जलते घर में
बाँसुरी बजा
रहा होता है।
चित्र साभार: Wikipedia
निनानवे
शरीफ
होते हैं
उनको
होना ही
होता है
होता वही है
जो वो चाहते हैं
बचा हुआ बस
एक ही होता है
जो नंगा होता है
उसे नंगा
होना ही
होता है
उसके
बारे में
निनानवे ने
सबको
बताया
होता है
समझाया
होता है
बस वो ही
होता है
जो उनका
जैसा नहीं
होता है
निनानवे
सब कुछ
सम्भाल
रहे होते हैं
सब कुछ
सारा कुछ
उन के
हिसाब से
हो रहा
होता है
शराफत
के साथ
नंगा
देख रहा
होता है
सब कुछ
कोशिश कर
रहा होता है
समझने की
मन्द बुद्धि
होना पाप
नहीं होता है
नहीं समझ
पाता है
होते हुऐ
सब कुछ को
जिसे सौ में
से निनानवे
कर रहे होते हैं
कुछ
कर पाना
नंगे के
बस में
नहीं हो
रहा होता है
नंगा हम्माम
में ही होता है
नहा भी
रहा होता है
निनानवे
को कोई
फर्क नहीं
पड़ रहा
होता है
अगर
एक कहानी
बना कर
उनकी अपने
साथ कहीं
कोई चिपका
रहा होता है
नंगे
‘उलूक’
ने सीखी
होती हैं
बहुत सारी
नंगई
लिखने
लिखाने
को
नंगई पर
एक भी
निनानवे
में से
कहीं भी
नहीं आ
रहा होता है
निनानवे का
‘राम’ भी
कुछ नहीं
कर सक
रहा होता है
उस
“बेवकूफ” का
जो जनता
को छोड़ कर
अपनी
बेवकूफी
के साथ
खुद को
नीरो
मान कर
समझ कर
रोम का
अपने
जलते घर में
बाँसुरी बजा
रहा होता है।
चित्र साभार: Wikipedia