उलूक टाइम्स: हाल-ए-कबूतरखाना
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रविवार, 20 अक्टूबर 2019

कबूतर को समझ आये हिसाब से अपने दिमाग से खुद को समझाये कबूतर



कुछ जंगल से शहर आये कबूतर
थोड़े शहर से शहर भगाये कबूतर

कुछ काले कुछ सफेद हो पाये कबूतर
थोड़े कुछ धोबी से रंग लगवाये कबूतर

कुछ पुराने घिसे घिसाये कबूतर 
कुछ नये पॉलिश लगवाये कबूतर

कबूतर कबूतर खेलने कबूतरों से 
ऊपर से कबूतर भिजवाये कबूतर

नीचे आ कबूतरों पर छा जाये कबूतर
कबूतर से कबूतर लड़वाये कबूतर

कुछ उड़ते जमीन में ले आये कबूतर
कुछ पैदल चलते उड़वाये कबूतर

कबूतरों के लिये कुछ कह जाये कबूतर
सुबह सबेरे समाचार हो जाये कबूतर

गुटुर गूँ गुटुर गूँ की 
चीर फाड़ करवाये कबूतर

हाय कबूतर हाय कबूतर 
कबूतर के पुतले जलवाये कबूतर

हाल-ए-कबूतरखाना 
सुनाता ‘उलूक’
कबूतर जोड़े घटाये कबूतर 
हासिल लगा जीरो पाये कबूतर ।

वैधानिक चेतावनी: किसी शिक्षण संस्थान से कबूतर का कोई समबन्ध नहीं है ।

चित्र साभार: https://www.theguardian.com