कुछ
प्रायश्चित कर रहे हैं
कुछ
सच में
सच लिख रहे हैं
प्रायश्चित कर रहे हैं
कुछ
सच में
सच लिख रहे हैं
कुछ
बकवास के पन्ने
कई दिन हो गये
कहीं नहीं दिख रहे हैं
कुछ
नहीं लिखा
कुछ
नहीं लिखा जा रहा है
कुछ पन्ने
ठण्डी धूप में सिक रहे हैं
नहीं लिखा
कुछ
नहीं लिखा जा रहा है
कुछ पन्ने
ठण्डी धूप में सिक रहे हैं
कुछ ने लिखा है
कुछ कुछ
कुछ
लिख दिए सब कुछ
सब्जी मण्डी में दिख रहे हैं
कुछ
कुछ से बहुत कुछ तक
पहुँच गये हैं
कुछ
कुछ में ही
कुछ टिक रहे हैं
कुछ से बहुत कुछ तक
पहुँच गये हैं
कुछ
कुछ में ही
कुछ टिक रहे हैं
कुछ
भर रहे हैं कुछ
कुछ
भर लिये हैं बहुत कुछ
कुछ
रास्ते में हैं लबालब
कुछ
कुछ रिस रहे हैं
कुछ
कुछ लिखने के लिये
दिख रहे हैं
कुछ
कुछ दिखने के लिये
लिख रहे हैं
कुछ लिखने के लिये
दिख रहे हैं
कुछ
कुछ दिखने के लिये
लिख रहे हैं
कुछ
चल दिये हैं
कुछ लिखते लिखते
कुछ
रास्ते में हैं
बस जूते घिस रहे हैं
कुछ
मुखौटे कुछ
चेहरों से उतर रहे हैं
कुछ
मुखौटे
शहर दर शहर बिक रहे हैं
मुखौटे कुछ
चेहरों से उतर रहे हैं
कुछ
मुखौटे
शहर दर शहर बिक रहे हैं
कुछ बाजार
कुछ उजड़ रहे हैं
कुछ बाजार
श्मशान में
सजते हुऐ कुछ दिख रहे हैं
कुछ
डरों से
कुछ निजात मिले
धोबी के कुछ गधे
कुछ
कोशिश कर रहे हैं
डरों से
कुछ निजात मिले
धोबी के कुछ गधे
कुछ
कोशिश कर रहे हैं
‘उलूक’
कुछ लगाम
खींच कलम की
कुछ
लिख कर कभी
सोच के घोड़े मर रहे हैं
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