उलूक टाइम्स: कुछ शेर हैं दूर से शायर दिख रहे हैं कुछ भीगे बिल्ले बेचारे बिल्लियाँ लिख रहे हैं

गुरुवार, 13 मई 2021

कुछ शेर हैं दूर से शायर दिख रहे हैं कुछ भीगे बिल्ले बेचारे बिल्लियाँ लिख रहे हैं

 


कुछ
प्रायश्चित कर रहे हैं

कुछ
सच में
सच लिख रहे हैं

कुछ
बकवास के पन्ने
कई दिन हो गये
कहीं नहीं दिख रहे हैं

कुछ 
नहीं लिखा
कुछ
नहीं लिखा जा रहा है

कुछ पन्ने
ठण्डी धूप में सिक रहे हैं

कुछ ने लिखा है
कुछ कुछ

कुछ
लिख दिए सब कुछ
सब्जी मण्डी में दिख रहे हैं

कुछ
कुछ से बहुत कुछ तक
पहुँच गये हैं

कुछ
कुछ में ही
कुछ टिक रहे हैं

कुछ
भर रहे हैं कुछ
कुछ
भर लिये हैं बहुत कुछ

कुछ
रास्ते में हैं लबालब
कुछ
कुछ रिस रहे हैं

कुछ
कुछ लिखने के लिये
दिख रहे हैं
कुछ
कुछ दिखने के लिये
लिख रहे हैं

कुछ
चल दिये हैं
कुछ लिखते लिखते
कुछ
रास्ते में हैं
 बस जूते घिस रहे हैं

कुछ
मुखौटे कुछ
चेहरों से उतर रहे हैं
कुछ
मुखौटे
शहर दर शहर बिक रहे हैं

कुछ बाजार
कुछ उजड़ रहे हैं

कुछ बाजार 
श्मशान में
सजते हुऐ कुछ दिख रहे हैं

कुछ
डरों से
कुछ निजात मिले

धोबी के कुछ गधे
कुछ
कोशिश कर रहे हैं

‘उलूक’
कुछ लगाम
खींच कलम की
कुछ
लिख कर कभी

सोच के घोड़े मर रहे हैं

चित्र साभार: https://www.dreamstime.com/

12 टिप्‍पणियां:

  1. कुछ
    कुछ लिखने के लिये दिख रहे हैं
    कुछ
    कुछ दिखने के लिये लिख रहे हैं
    कुछ
    चल दिये हैं कुछ लिखते लिखते
    कुछ रास्ते में हैं
    अभी बस जूते घिस रहे हैं

    एक दम सटीक पंक्तियाँ....

    जवाब देंहटाएं
  2. धोबी के कुछ गधे
    कुछ कोशिश कर रहे हैं
    ‘उलूक’
    कुछ तो लगाम खींच कलम की
    कुछ लिख कर कभी
    सोच के घोड़े मर रहे हैं
    सादर नमन

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  3. कुछ बाजार
    कुछ उजड़ रहे हैं
    कुछ बाजार श्मशान में
    सजते हुऐ कुछ दिख रहे हैं
    बहुत सुंदर कटाक्ष...

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह! एक ही साथ सबको हांक दिया । बहुत ही बढ़िया ।

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  5. कुछ
    कुछ लिखने के लिये दिख रहे हैं
    कुछ
    कुछ दिखने के लिये लिख रहे हैं
    कुछ
    चल दिये हैं कुछ लिखते लिखते
    कुछ रास्ते में हैं
    अभी बस जूते घिस रहे हैं
    बस सभी कुछ न कुछ कोशिश कर रहे हैं..बिकने की भी तो बिकाने की भी...
    वाह!!!
    हमेशा की तरह बहुत ही लाजवाब।

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  6. बहुत ख़ूब जोशी सर! आज जब देश में बहुत कुछ और बहुत बड़े पैमाने पर किये जाने की आवश्यकता है, हमें "कुछ" से संतोष करना पड़ रहा है! कुछ आशा है कि दिन बहुरेंगे!!

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  7. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०५ -०६-२०२१) को 'बादल !! तुम आते रहना'(चर्चा अंक-४०८७) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  8. कुछ
    प्रायश्चित कर रहे हैं

    कुछ
    सच में
    सच लिख रहे हैं
    कुछ कुछ में बहुत कुछ लिखने की कला है आपमें

    जवाब देंहटाएं