उलूक टाइम्स

मंगलवार, 27 दिसंबर 2011

आदमी / पागल

आदमी आदमी से
टकराने लगा है
पागल पागल को
समझाने लगा है
एक पागल आया
कल मेरे पास
उसने समझाया
उसकी भी समझ
में अब सब
आने लगा है
बोला पागल हूँ
तो क्या बेवकूफ
भी बना लोगे
मेरे हिस्से की
चांदनी भी
चुरा लोगे
धूप तो आप
रोज दिन में
चोरते आये हो
अब रात में
भी चोरी
करा लोगे
आदमी का
आदमी को
पागल बनाना
तो समझ
में आता है
आप तो
हदें पार
कर आये हो
चैन से रहने
देते ना भैया
मत छीनो
सुकून हमारा
आंखिर क्यों
आदमी बनाने
पर ही आप
उतर आये हो?