उलूक टाइम्स

रविवार, 2 मार्च 2014

ब्लागिंग कर कमप्यूटर में डाल बाकी मत कर फालतू कोई बबाल

भाई जी
सुनिये जरा

एक
बहुत बड़े ने
लिखा है
बहुत ही कुछ
बड़ा बड़ा

बिना पढ़े
सोचे समझे
हर कोई होना
चाहता है
जहाँ पर
जा कर खड़ा

कुछ छोटों ने
भी लिखा है

लिखे को
तवज्जो
ना सही
लिखने वाले
को ही दे दीजिये
आशीर्वाद अपना

अब
मत कह देना
कह रहा है
फालतू  में ये
सब इतना

क्योंकि :)


जब गुलाब के

बाग में एक

जाते समय

काँटे तक नहीं
कोई देखते हो

पत्ते गिरे हुऐ

फूलों की तरफ
भी आशिकों की
तरह ही कुछ
देखते हो

खुश्बू नहीं भी

होती है कहीं भी
नाक बंद होगी
जैसा ही कुछ
बस सोचते हो

कभी तो

थोड़ी सी सही
नजरे इनायत
इधर भी
तो कीजिये 


बीबी रोज के 

खर्चे का पूछती
है हमेशा हिसाब


पान कभी खाते
नहीं देखा इसलिये
समझ में हमारे भी
कुछ कुछ कभी
आता है साहब

पर फिर भी
आप रोज ही
निकलते हो
पान वाली
की गली से
किनारे किनारे
लगा कर जैसे
गालों पर हाथ

पान वाली की तरफ
तिरछी नजर फेंकने
से कभी भी नहीं
देखा कि चूकते हो

सबको
सब नजर
आता है जनाब
चश्मा मोटा
जो लगाता है
आँखों पर साहब

सारा
आँखों देखा हाल
बताता है अपने आप

आने जाने को
कोई नहीं बोल
रहा है आपसे कभी

बस मेरे मोहल्ले
की तरफ कभी
पीठ करके ही सही
बैठिये तो जनाब

अच्छा लगेगा
कुछ कह
भी जायेंगे
बुरा ही सही
लिख गये तो
इससे ज्यादा
अच्छा नहीं

दुआ देगा एक
छोटा लिखने वाला
भी आपको

बड़े के बड़े बड़े
लिखे में सारे बड़े
पहुँचते हैं हमेशा

बहुत
अच्छा लगेगा
अगर कोई एक
छोटे के घर आ कर
कह देगा एक बात

लिखना
कोई बुरी
बात नहीं है
लिखा करो
अच्छा है

बहुत लिखना
खूब लिखना
कम से कम
अपने से ही
मुँह के अंदर
अंदर कर
लेने से
कोई बात ।