भाई जी
सुनिये जरा
एक
बहुत बड़े ने
लिखा है
बहुत ही कुछ
बड़ा बड़ा
बिना पढ़े
सोचे समझे
हर कोई होना
चाहता है
जहाँ पर
जा कर खड़ा
कुछ छोटों ने
भी लिखा है
लिखे को
तवज्जो
ना सही
लिखने वाले
को ही दे दीजिये
आशीर्वाद अपना
अब
मत कह देना
कह रहा है
फालतू में ये
सब इतना
क्योंकि :)
जब गुलाब के
बाग में एक
जाते समय
काँटे तक नहीं
कोई देखते हो
पत्ते गिरे हुऐ
फूलों की तरफ
भी आशिकों की
तरह ही कुछ
देखते हो
खुश्बू नहीं भी
होती है कहीं भी
नाक बंद होगी
जैसा ही कुछ
बस सोचते हो
कभी तो
थोड़ी सी सही
नजरे इनायत
इधर भी
तो कीजिये
बीबी रोज के
खर्चे का पूछती
है हमेशा हिसाब
पान कभी खाते
नहीं देखा इसलिये
समझ में हमारे भी
कुछ कुछ कभी
आता है साहब
पर फिर भी
आप रोज ही
निकलते हो
पान वाली
की गली से
किनारे किनारे
लगा कर जैसे
गालों पर हाथ
पान वाली की तरफ
तिरछी नजर फेंकने
से कभी भी नहीं
देखा कि चूकते हो
सबको
सब नजर
आता है जनाब
चश्मा मोटा
जो लगाता है
आँखों पर साहब
सारा
आँखों देखा हाल
बताता है अपने आप
आने जाने को
कोई नहीं बोल
रहा है आपसे कभी
बस मेरे मोहल्ले
की तरफ कभी
पीठ करके ही सही
बैठिये तो जनाब
अच्छा लगेगा
कुछ कह
भी जायेंगे
बुरा ही सही
लिख गये तो
इससे ज्यादा
अच्छा नहीं
दुआ देगा एक
छोटा लिखने वाला
भी आपको
बड़े के बड़े बड़े
लिखे में सारे बड़े
पहुँचते हैं हमेशा
बहुत
अच्छा लगेगा
अगर कोई एक
छोटे के घर आ कर
कह देगा एक बात
लिखना
कोई बुरी
बात नहीं है
लिखा करो
अच्छा है
बहुत लिखना
खूब लिखना
कम से कम
अपने से ही
मुँह के अंदर
अंदर कर
लेने से
कोई बात ।
सुनिये जरा
एक
बहुत बड़े ने
लिखा है
बहुत ही कुछ
बड़ा बड़ा
बिना पढ़े
सोचे समझे
हर कोई होना
चाहता है
जहाँ पर
जा कर खड़ा
कुछ छोटों ने
भी लिखा है
लिखे को
तवज्जो
ना सही
लिखने वाले
को ही दे दीजिये
आशीर्वाद अपना
अब
मत कह देना
कह रहा है
फालतू में ये
सब इतना
क्योंकि :)
जब गुलाब के
बाग में एक
जाते समय
काँटे तक नहीं
कोई देखते हो
पत्ते गिरे हुऐ
फूलों की तरफ
भी आशिकों की
तरह ही कुछ
देखते हो
खुश्बू नहीं भी
होती है कहीं भी
नाक बंद होगी
जैसा ही कुछ
बस सोचते हो
कभी तो
थोड़ी सी सही
नजरे इनायत
इधर भी
तो कीजिये
बीबी रोज के
खर्चे का पूछती
है हमेशा हिसाब
पान कभी खाते
नहीं देखा इसलिये
समझ में हमारे भी
कुछ कुछ कभी
आता है साहब
पर फिर भी
आप रोज ही
निकलते हो
पान वाली
की गली से
किनारे किनारे
लगा कर जैसे
गालों पर हाथ
पान वाली की तरफ
तिरछी नजर फेंकने
से कभी भी नहीं
देखा कि चूकते हो
सबको
सब नजर
आता है जनाब
चश्मा मोटा
जो लगाता है
आँखों पर साहब
सारा
आँखों देखा हाल
बताता है अपने आप
आने जाने को
कोई नहीं बोल
रहा है आपसे कभी
बस मेरे मोहल्ले
की तरफ कभी
पीठ करके ही सही
बैठिये तो जनाब
अच्छा लगेगा
कुछ कह
भी जायेंगे
बुरा ही सही
लिख गये तो
इससे ज्यादा
अच्छा नहीं
दुआ देगा एक
छोटा लिखने वाला
भी आपको
बड़े के बड़े बड़े
लिखे में सारे बड़े
पहुँचते हैं हमेशा
बहुत
अच्छा लगेगा
अगर कोई एक
छोटे के घर आ कर
कह देगा एक बात
लिखना
कोई बुरी
बात नहीं है
लिखा करो
अच्छा है
बहुत लिखना
खूब लिखना
कम से कम
अपने से ही
मुँह के अंदर
अंदर कर
लेने से
कोई बात ।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (03-03-2014) को "बसंत का हुआ आगमन" (चर्चा मंच-1540) में अद्यतन लिंक पर भी होगी!
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
wah kya baat hai ..
जवाब देंहटाएंबवाल से होगा क्या
जवाब देंहटाएंनोचोगे अपने ही बाल
कलम की ताकत का सम्मान करो
जो मन कहे बस लिखते जाओ
बहुत खूब !
जवाब देंहटाएं