उलूक टाइम्स

शनिवार, 3 मई 2014

सब पी रहे हों जिसको उसी के लिये तुझको जहर के ख्वाब आते हैं

रेगिस्तान की रेत के
बीच का कैक्टस
फूलोंं के बीज बेच रहा है

कैक्टस 
बहुत कम लोग पसंद करते हैं

कम से कम
वास्तु शास्त्री की बातों को
मानने वाले तो कतई नहीं

कुछ रखते हैं गमलों में
क्योंकि फैशन है रखने का

पर किंवदंतियों के भूत से भी
पीछा नहीं छुड़ा पाते हैं
गमले 
घर के पिछवाड़े रख कर आते हैं

कैक्टस के कांटे निकलने
का मौसम अभी नहीं है
आजकल उनमें फूल आते हैं

फूल के बीज बिक रहे हैं बेतहाशा भीड़ है

और भीड़ की
बस दो ही आँखें होती हैं
उनको कैक्टस से कोई मतलब नहीं होता है
उनके सपने में फूल ही फूल तो आते हैं

काँटो से लहूलुहान ऐसे लोग
भूखी बिल्ली की तरह होते हैं

जो बस दूध की फोटो देख कर ही तृप्त हो जाते हैं

इसी भूख को बेचना सिखाने वाले कैक्टस
उस मौसम में 
जब उनके काँटे गिर चुके होते हैं

और कुछ फूल
जो उनके बस फोड़े होते हैं 
सामने वाले को फूल जैसे ही नजर आते हैं

सारे फूलों को फूलों के बीज बेचना सिखाते हैं

फूल कैक्टस को महसूस नहीं करते हैं
उसके फूलों पर फिदा हो जाते हैं

और बेचना शुरु कर देते हैं कैक्टस के बीज

‘उलूक’
बहुत दूर तक देखना अच्छा नहीं है
कांटे तेरे दिमाग में भी हैं
जिनपर फूल कभी भी नहीं आते हैं

कैक्टस
इसी बात को बहुत सफाई के साथ
भुना ले जाते हैं

और यूँ ही खेल ही खेल में
सारे के सारे बीज बिक जाते हैं

देखना भर रह गया है
कितने बीजों से 
रक्तबीज फिर से उग कर आते हैं ।