किताबें सब के
नसीब में
नहीं होती हैं
किताबें सब के
बहुत करीब
नहीं होती हैं
किताबें होने से
भी कुछ
नहीं होता है
किताबों में जो
लिखा होता है
वही होना भी
जरूरी नहीं होता है
किताबों में लिखे को
समझना नहीं होता है
किताबों से पढ़ कर
पढ़ने वालो से बस
कह देना ही होता है
किताबों को खरीदना
ही नहीं होता है
किताबों का कमीशन
कमीशन नहीं होता है
किताबें बहुत ही
जरूरी होती है
ऐसा कहने वाला
बड़ा बेवकूफ होता है
किताबें होती है
तभी बस्ता
भी होता है
किताबें डेस्क
में होती है
किताबें अल्मारी
में सोती हैं
किताबे दुकान
में होती हैं
किताबे किताबों के
साथ रोती हैं
किताबों में
लिखा होना
लिखा होना
नहीं होता है
किताबों में
इतिहास होता है
किताबों में हास
परिहास होता है
किताबों की बातों को
किताबों में ही
रहना होता है
जो अपने
आस पास होता है
किताबों से नहीं होता है
किसी को पता
भी नहीं होता है
होना या ना
होना भी
किताबों में
नहीं होता है
सब पता होना
इतना भी जरूरी
नहीं होता है
इतिहास
पुराना हो
बहुत अच्छा
नहीं होता है
नया होने
के लिये
ही कुछ
नया होता है
जो पहले से
ही होता है
उसका होना
होना नहीं होता है
किताबों को पढ़ना
और पढ़ाना होता है
बताना कुछ
और ही होता है
जिसको इतना
पता होता है
गुरुओं का भी
गुरु होता है ।
नसीब में
नहीं होती हैं
किताबें सब के
बहुत करीब
नहीं होती हैं
किताबें होने से
भी कुछ
नहीं होता है
किताबों में जो
लिखा होता है
वही होना भी
जरूरी नहीं होता है
किताबों में लिखे को
समझना नहीं होता है
किताबों से पढ़ कर
पढ़ने वालो से बस
कह देना ही होता है
किताबों को खरीदना
ही नहीं होता है
किताबों का कमीशन
कमीशन नहीं होता है
किताबें बहुत ही
जरूरी होती है
ऐसा कहने वाला
बड़ा बेवकूफ होता है
किताबें होती है
तभी बस्ता
भी होता है
किताबें डेस्क
में होती है
किताबें अल्मारी
में सोती हैं
किताबे दुकान
में होती हैं
किताबे किताबों के
साथ रोती हैं
किताबों में
लिखा होना
लिखा होना
नहीं होता है
किताबों में
इतिहास होता है
किताबों में हास
परिहास होता है
किताबों की बातों को
किताबों में ही
रहना होता है
जो अपने
आस पास होता है
किताबों से नहीं होता है
किसी को पता
भी नहीं होता है
होना या ना
होना भी
किताबों में
नहीं होता है
सब पता होना
इतना भी जरूरी
नहीं होता है
इतिहास
पुराना हो
बहुत अच्छा
नहीं होता है
नया होने
के लिये
ही कुछ
नया होता है
जो पहले से
ही होता है
उसका होना
होना नहीं होता है
किताबों को पढ़ना
और पढ़ाना होता है
बताना कुछ
और ही होता है
जिसको इतना
पता होता है
गुरुओं का भी
गुरु होता है ।