किस पहर
का
गुलाब
गुलाब
सुबह सुबह
पूजा का
समय
समय
या
ढलती
शाम
ढलती
शाम
सुर्ख लाल
सूरज
की
लाली
की
लाली
या
आँखों में
उतरता हुआ
खून
खून
पीला
पड़ा हुआ
या
उजला सफेद
विधवा
हुआ सा
हुआ सा
लाश
जिंदा
या
मरी हुई
पोस्टमार्टम
करने के
बाद की
हड़बड़ी
हड़बड़ी
में
सिली हुई
सिली हुई
सुकून
किस को
किस तरह का
खुश्बू का
सड़ांंध का
मुरझाती हुई
पँखुड़ियों का
या
या
लाश से रिसते हुऐ
लाल रंग से
सफेद होते हुऐ
उसके कपड़े का
गुलाब एक
पौंधे पर
हौले से
हवा के
हवा के
झोंके से
हिलता हुआ
हिलता हुआ
लाश पर
बहुत से
फूलों
और
और
अगरबत्तियों
की
राख से
योगी
राख से
योगी
बन सना हुआ
किसको
अच्छी
लगती हैं लाशें
किसको
अच्छे
लगते हैं गुलाब
अलग अलग
पहर पर
एक अलग तरह
की आग
अलग अंदाज
अलग अंदाज
कहीं
बस धुआँ
तो
कहीं राख
कहीं राख
खाली गुलाब
खाली आदमी
खाली सोच
आदमी
के
हाथ में गुलाब
अंदर
कुछ
खोलता हुआ
बाहर
हाथ में
सुर्ख होता गुलाब
अंदर से
धीरे से
बनती हुई
एक लाश
एक लाश
किस को
किस की
ज्यादा जरूरत
किसकी
किससे
बुझती हो प्यास
गुलाब
भी
जरूरी है
और
लाश भी
लाश भी
और
देखने समझने
वाले की
आँख भी
आँख भी
बस
समझ में
इतना
आना जरूरी
आना जरूरी
लाशें
गुलाब बाँटे
और
सुर्खी भी
सुर्खी भी
साथ साथ
दोनो होना
संभव
नहीं है
एक साथ ।