उलूक टाइम्स: लिख ले लिखता चल जमीर को मार दे

मंगलवार, 10 दिसंबर 2024

लिख ले लिखता चल जमीर को मार दे

 


शब्द चार उधार ले जिंदगी सुधार दे
आसमां उतार ले जमीं जमीं निथार दे

कदम उठा ताल दे कहने दे बबाल दे
किसने किस को देखना आईना उबाल  दे

अपना अपना देख ना उसका उस का देखना
देखने से भर गया लिबास अब उतार दे

इसे दिखा उसे दिखा सब दिखा प्रचार दे
झूठ पकड़ प्यार दे सच जकड़ सुधार दे

इधर मिला उधर मिला मिल मिला व्यापार दे
जहर मिला जहर पिला पिला पिला मार दे

‘उलूक’ तहजीब सीख और हिसाब दे
लिख ले लिखता चल जमीर को मार दे


चित्र साभार: https://www.dreamstime.com/
 

9 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 11 दिसंबर को साझा की गयी है....... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।

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  2. तहजीब सिखा दियाऔर
    हिसाब भी दे दिया
    आज उलूक ने
    आभार
    सादर वंदन

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  3. जमीर जगा हो तभी न मारेंगे, सोया है, वह कई परतों में सोया है, तभी एक तरफ़ शांति की बात करते हैं और दूसरी तरफ़ लगातार युद्ध होने देते हैं

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  4. वाह ! अति सुन्दर अभिव्यक्ति । सादर नमस्कार सर !

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  5. इसे दिखा उसे दिखा सब दिखा प्रचार दे
    झूठ पकड़ प्यार दे सच जकड़ सुधार दे
    वाह!!!
    सच जकड़ सुधार दे
    अद्भुत एवं अप्रतिम 🙏🙏

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  6. कदम उठा ताल दे कहने दे बबाल दे
    किसने किस को देखना आईना उबाल दे

    –सबसे ज़्यादा अच्छा लगा : आईना का उबालना
    बाक़ी भी अच्छा है-

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  7. क्या बात है, आपकी कविता ने कितनी सटीक और चुभती हुई बातों को यूँ ही बेधड़क कह दिया है। शब्द चार उधार ले जिंदगी सुधार दे”, ये लाइन ही काफी है समझाने के लिए कि सही शब्दों से कितना कुछ बदल सकता है। पूरी कविता जैसे किसी को झकझोर कर कह रही हो कि अब और मत सो, उठ और सच्चाई देख।

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