उलूक टाइम्स

मंगलवार, 7 अप्रैल 2015

पुराने एक मकान की टूटी दीवारों के अच्छे दिन आने के लिये उसकी कब्र को दुबारा से खोदा जा रहा था

सड़कों पर सन्नाटा
और सहमी हुई सड़के
आदमी कम और
वर्दियों के ढेर
बिल्कुल साफ
नजर आ रहा था
पहुँचने वाला है
जल्दी ही मेरे शहर में
कोई ओढ़ कर एक शेर
शहर के शेर भी
अपने बालों को
उठाये नजर आ रहे थे
मेरे घर के शेर भी
कुछ नये अंदाज में
अपने नाखूनों को
घिसते नजर आ रहे थे
घोषणा बहुत पहले ही
की जा चुकी थी
एक पुराने खंडहर
की दीवारें बाँटी
जा चुकी थी
अलग अलग
दीवार से
अलग अलग
घर उगाने का
आह्वान किया
जा रहा था
एक हड्डी थी बेचारी
और बहुत सारे बेचारे
कुत्तों के बीच नोचा
घसीटा जा रहा था
बुद्धिजीवी दूरदृष्टा
योजना सुना रहा था
हर कुत्ते के लिये
एक हड्डी नोचने
का इंतजाम
किया जा रहा था
बहुत साल पहले
मकान धोने सुखाने
का काम शुरु
किया गया था
अब चूँकि खंडहर
हो चुका था
टेंडर को दुबारा
फ्लोट किया
जा रहा था
हर टूटी फूटी
दीवार के लिये
एक अलग
ठेकेदार बन सके
इसके जुगाड़
करने पर
विमर्श किया
जा रहा था
दलगत राजनीति
को हर कोई
ठुकरा रहा था
इधर का
भी था शेर
और उधर का
भी था शेर
अपनी अपनी
खालों के अंदर
मलाई के सपने
देख देख कर
मुस्कुरा रहा था
‘उलूक’ नोच रहा था
अपने सिर के बाल
उसके हाथ में
बाल भी नहीं
आ रहा था
बुद्धिजीवी शहर के
बुद्धिजीवी शेरों की
बुद्धिजीवी सोच का
जलजला जो
आ रहा था ।


चित्र साभार: imgkid.com