क्या है ये
एक डेढ़ पन्ने
के अखबार
के लिये
रोज एक
तुड़ी मुड़ी
सिलवटें
पड़ी हुई खबर
उसे भी
खींच तान कर
लम्बा कर
जैसे
नंगे के
खुद अपनी
खुली टाँगों के
ना ढक पाने की
जद्दोजहद में
खींचते खींचते
उधड़ती हुई
बनियाँन के
लटके हुऐ चीथड़े
आगे पीछे
ऊपर नीचे
और इन
सब के बीच में
खबरची भी
जैसे
लटका हुआ कहीं
क्या किया
जा सकता है
रोज का रोज
रोज की
एक चिट्ठी
बिना पते की
एक सफेद
सादे पन्ने
के साथ
उत्तर की
अभिलाषा में
बिना टिकट
लैटर बाक्स में
डाल कर
आने का
अपना मजा है
पोस्टमैन
कौन सा
गिनती करता है
किसी दिन
एक कम
किसी दिन
दो ज्यादा
खबर
ताजा हो
या बासी
खबर
दिमाग लगाने
के लिये नहीं
पढ़ने सुनने
सुनाने भर
के लिये होती है
कागज में
छपी हो तो
उसका भी
लिफाफा
बना दिया
जाता है कभी
चिट्ठी में
घूमती तो
रहती है
कई कई
दिनों तक
वैसे भी
बिना पते
के लिफाफे को
किसने
खोलना है
किसने पढ़ना है
पढ़ भी
लिया तो
कौन सा
किसी खबर
का जवाब देना
जरूरी होता है
कहाँ
किसी किताब
में लिखा
हुआ होता है
लगा रह ‘उलूक’
तुझे भी
कौन सा
अखबार
बेचना है
खबर देख
और
ला कर रख दे
रोज एक
कम से कम
एक नहीं
तो कभी
आधी ही सही
कहो कैसी कही ?
चित्र साभार: www.clipartsheep.com
एक डेढ़ पन्ने
के अखबार
के लिये
रोज एक
तुड़ी मुड़ी
सिलवटें
पड़ी हुई खबर
उसे भी
खींच तान कर
लम्बा कर
जैसे
नंगे के
खुद अपनी
खुली टाँगों के
ना ढक पाने की
जद्दोजहद में
खींचते खींचते
उधड़ती हुई
बनियाँन के
लटके हुऐ चीथड़े
आगे पीछे
ऊपर नीचे
और इन
सब के बीच में
खबरची भी
जैसे
लटका हुआ कहीं
क्या किया
जा सकता है
रोज का रोज
रोज की
एक चिट्ठी
बिना पते की
एक सफेद
सादे पन्ने
के साथ
उत्तर की
अभिलाषा में
बिना टिकट
लैटर बाक्स में
डाल कर
आने का
अपना मजा है
पोस्टमैन
कौन सा
गिनती करता है
किसी दिन
एक कम
किसी दिन
दो ज्यादा
खबर
ताजा हो
या बासी
खबर
दिमाग लगाने
के लिये नहीं
पढ़ने सुनने
सुनाने भर
के लिये होती है
कागज में
छपी हो तो
उसका भी
लिफाफा
बना दिया
जाता है कभी
चिट्ठी में
घूमती तो
रहती है
कई कई
दिनों तक
वैसे भी
बिना पते
के लिफाफे को
किसने
खोलना है
किसने पढ़ना है
पढ़ भी
लिया तो
कौन सा
किसी खबर
का जवाब देना
जरूरी होता है
कहाँ
किसी किताब
में लिखा
हुआ होता है
लगा रह ‘उलूक’
तुझे भी
कौन सा
अखबार
बेचना है
खबर देख
और
ला कर रख दे
रोज एक
कम से कम
एक नहीं
तो कभी
आधी ही सही
कहो कैसी कही ?
चित्र साभार: www.clipartsheep.com