उलूक टाइम्स

शुक्रवार, 18 सितंबर 2015

भाई कोई खबर नहीं है खबर गई हुई है


सारे के सारे खबरची 
अपनी अपनी खबरों के साथ 
सुना गया है टहलने चले गये हैं 

पक्की खबर नहीं है 
क्योंकि किसी को कोई भी खबर
बना कर नहीं दे गये हैं 

खबर दे जाते
तब भी कुछ होने जाने वाला नहीं था 

परेशानी बस इतनी सी है 
कि समझ में नहीं आ पा रहा है 
इस बार ऐसा कैसे हो गया 

खबर दे ही नहीं गये हैं 
खबर अपने साथ ही ले गये हैं 

अब ले गये हैं
तो कैसे पता चले खबर की खबर 
क्या बनाई गई है कैसे बनाई गई है 
किस ने लिखाई है किस से लिखवाई गई है 

किसका नाम कहाँ पर लिखा है 
किस खबरची को नुकसान हुआ है 
और किस खबरची को फायदा पहुँचा है 

बड़ी बैचेनी हो गई है 
जैसे एक दुधारू भैंस दुहने से पहले खो गई है 

‘उलूक’ सोच में हैं तब से 
खाली दिमाग को अपने हिला रहा है 
समझ में कभी भी नहीं आ पाया जिसके 
सोच रहा है
कुछ आ रहा है कुछ आ रहा है 

बहुत अच्छा हुआ खबर चली गई है 
और खबरची के साथ ही गई है 

खबर आ भी जाती है 
तब भी कहाँ समझ में आ पाती है 

खबर कैसी भी हो माहौल तो वही बनाती है । 

चित्र साभार: www.pinterest.com