उलूक टाइम्स

गुरुवार, 1 अगस्त 2019

जरूरी होते हैं प्रायश्चित भी अगर मरजी हो तो तर्पण कर लेने में कोई हर्ज नहीं खुद का जीते जी




जरूरी होते हैं
प्रायश्चित भी

उतने ही
जरूरी होते हैं

जितना
जरूरी होता है

होना
किसी का

किसी
खास जगह पर 

कोई एक
पंक्ति
पंक्तियों
के बीच से
चुन कर

मन मौज से
खड़े हो लेना
कहीं भी

पीड़ा
देता ही है
कभी ना कभी

कितनी

निर्भर करता है

पीड़ित की
औकात पर

किसी
मजबूत के
नाम की लाठी
लिये हुऐ

मजबूती
के साथ खड़े
कमजोर लोगों
के बीच

मजबूत
टाँगों 
की सोच के 
लोगों को

येन केन
प्रकारेण
हतोत्साहित
करने की
कोशिश में
सतत लगे

अपनी
कमजोर
इरादों 
की 
मजबूत टाँगों
के भरोसे
जा कर खड़े
हो लेने वाले
होशियार लोगों का

कोई
कुछ नहीं
बिगाड़ सकता है

गिरोह
बहुत
सम्मानित
शब्द
हो चुका है

कभी किसी
शुभाकाँक्षी
के द्वारा

कुछ पाने के लिये
कुछ खोना पड़ता है
समझाया गया
समझते समझते
सालों बीतते
बहुत कुछ पागये
कुछ
सौभाग्यशालियों ने
समझा दिया होता है

हौले हौले से

कुछ नहीं
करते चले जाते हुऐ
पहुँच लेना
वहाँ तक

जहाँ पहुँच कर
जरूरी हो जाता है
प्रायश्चित
कर लेना

बता बता
कर
पंक्तियों के
बीच के अर्थों में

कि
गुजर लेने
से पहले भी
खुद का
तर्पण कर लेना
सबसे समझदारी

यानि
अक्ल का काम
माना जाता है ‘उलूक’

बाकी तेरी मरजी।

चित्र साभार: www.stockunlimited.com