उलूक टाइम्स

शनिवार, 1 अगस्त 2020

कलाकारों पर क्यों नहीं छोड़ देता है वो बना लेंगे पेंटिंग हूबहू


तू लिख
लेकिन चेहरे मत लिख
मुखौटे लिखना तेरे बस में नहीं है

चित्र सब सोच सकते हैं
उकेरने का लाइसेंस होना चाहिये
है तेरे पास ?
 फिर किसलिये प्रयास करता है?

 हाथ लिख पैर लिख अंगुलियाँ लिख
पेट लिख माँस लिख  हड्डियाँ लिख
 कौन रोकता है?
 बस चेहरे मत लिख

हर चेहरे के साथ एक मुखौटा होता है
हर मुखौटे के साथ एक चेहरा होता है
मुखौटे होना  बहुत जरूरी है भी

चेहरा हर समय मुखौटे के साथ हो
या
मुखौटा हर समय चेहरे के साथ हो
जरूरी नहीं भी होता है

मुखौटे लिखने की महारत
हर किसी के पास होती है

चेहरा लिखना किसी के बस में
होता भी है या नहीं होता है
इस पर ना किसी ने कभी कुछ कहा होता है
ना कुछ कहीं लिखा होता है

मुखौटे
एक चेहरे के कई हो सकते हैं
कई चेहरों पर
एक मुखौटा कभी हो ही नहीं सकता है

सारा लिखा लिखाया
मुखौटा ओढ़ कर ही लिखा जाता है

कोई हो
तुलसी हो कबीर हो सूर हो
सबके मुखौटे की छाया
लिखा लिखाया साफ साफ दिखा जाता है

लिखने वाले ने लिखा होता है
मुखौटा ओढ़ कर जो कुछ भी
‘उलूक’

हर किसी को मुखौटा उतार कर
लिखे लिखाये का मुखौटा उतारना
बड़ी सफाई के साथ आता है

तू लिखता रह
मुखौटा लगाये आँखें छुपाये
अंधेरे की बातें

पढ़ने वाले को कौन सा पढ़ना होता है
मुखौटा लगा कर

लिखते समय याद रहता है

पढ़ते समय मुखौटा लगाना
भूला ही जाता है।

चित्र साभार:
https://www.newsgram.com/