उलूक टाइम्स

मंगलवार, 8 नवंबर 2011

गांधी

गांंधी तेरी याद
हो गयी फिर
एक साल पुरानी
पिछले साल
थी आयी
फिर आ गयी
इस साल
कुछ फोटो
पोस्टर बिके
मूर्तियां धुली
धुली सी
मुस्कुरा रहा था
आज
फूल बेचने
वाला भी
दो अक्टूबर
बर्बाद हो गया
बच्चे कह रहे थे
मायूसी से
आज तो
रविवार हो गया
सुबह सुबह
उठकर
जाना पड़ा
झंडा धूल झाड़
फहराना पडा़
तब किये
सत्य पर प्रयोग
अब कोई
कैसे करे उपयोग
सत्य जैसे अब
खादी हो गया
आदमी जीन्स का
आदी हो गया
गांधी चले जाओ
अब शाम हो गयी
लाठी चश्मा घड़ी
तो नीलाम हो गयी
आ जाना
अगले साल
फिर से एक बार
नमस्कार जी
नमस्कार जी
नमस्कार ।