उलूक टाइम्स

मंगलवार, 11 अगस्त 2015

छोटे चोर चकारों के स्टिंग करने से ना तेरा कुछ भला होगा ना उनका ही भला हो पायेगा

इस गलतफहमी में
क्यों रहता है कि कोई
स्टिंग आपरेशन तेरे लिये
भी कभी किया जायेगा
और फिर उसकी एक
सी डी बना कर कोई
मीडिया को जाकर
भी दे कर आयेगा
बड़े लोगों के बड़े
कामों के लिये
ये सब काम
किये जाते हैं
ऐसे कामों को
करने कराने में बड़े
बड़े खर्चे हो जाते हैं
इस दल के लिये
उस दल का कोई
चूहेदानी बनवा
कर लगवाता है
किसी बीच के
आदमी को ठोक
पीट बजा कर
काम दिया जाता है
अब इतने सारे बबाल
तेरे जैसे फालतू
निर्दलीय के लिये
बता कौन करायेगा
डेढ़ रुप्पली के घपले
करने की आदत
हो जिसको उसे
देख कर स्टिंग करने
वाले के साथ का कैमरा
और कैमरे वाला
भी शर्मायेगा
कितना कर लेगा
एक मकान उधर
एक दो स्कूटर कार इधर
खरीद बेच कर दिखायेगा
चीनी और नमक की
बीमारी से पहले
से ही ग्रस्त है
लौकी और खिचड़ी
खाना भी बंद हो जायेगा
बराबरी मत किया कर
डेढ़ की जगह ढाई का
घपला कर लिया कर
बड़े करेगा तो किसी
बड़े के हाथों कहीं ना
कहीं फंसा दिया जायेगा
लगा रह छोटे छोटे
ही को छीलने में
किसी को पता भी
नहीं चल पायेगा
छीलनों से ही
किसी ना किसी दिन
तेरा बोरा गले गले
तक भर ही जायेगा
छोटे चोर चकारों के
स्टिंग करने से
ना तेरा ही कुछ भला होगा
ना उनका ही भला हो पायेगा ।

चित्र साभार: www.beyazpsikoloji.com

सोमवार, 10 अगस्त 2015

बिल्ली और घंटी वाली पुरानी कहानी में संशोधन करने के लिये संसद में प्रस्ताव पास करवायें

बिल्ली चूहे

और
बिल्ली के
गले में घंटी
बांधने की कहानी

बहुत
पुरानी
जरूर है

पर
कहानी ही है

ना कभी
किसी बिल्ली
के घंटी बंधी

ना चूहों
की हिम्मत
कभी इतनी बनी

आदमी के
दिमाग की
खुराफातों
की बातें

किसी के
समझ में आई
और उसने

बिल्ली चूहे
के ऊपर
घंटी एक
मार कर

एक
कहानी बनाई

कहानी तो
कहानी होती है

सच सच होता है

क्या किया जाये

अगर
एक चूहों के
जमघट के

कुछ
टेढ़े मेढ़े
कमजोर चूहे

कहीं से
कुछ लम्बी मूँछें

और
कहीं से
कुछ लम्बी पूँछें
मार कर लायें

अपने ही
घर से चोरी गई

कुछ
मलाई से

कुछ अपने

और
कुछ अपने
कुछ चमचों
पर चिपका कर
बिल्ली हो जायें

चारों और
बिल्लियों का
डर फैलायें

तितर
बितर
हुऐ चूहे

अपने
ही बीच के
कुछ चूहों
के डर से
हलकान हो कर

घंटी के
सपने देखना
शुरु हो जायें

इस सब
को समझें

बिल्ली
कभी नही थी

घंटी जरूर थी

चूहों
के बीच
किसी
एक दो
चूहों के
गले में घंटी
बधने बधाने की
नई कहानी बनायें

बिल्ली
और
घंटी वाली
पुरानी कहानी में

संशोधन
करने के लिये

संसद
में प्रस्ताव
पास करवायें ।

चित्र साभार: members.madasafish.com

रविवार, 9 अगस्त 2015

समझ में आता है कभी शुतुरमुर्ग क्यों रेत में गरदन घुसाता है

कुछ खूबसूरत सा
नहीं लिख पाता है
कोशिश भी करता है
नहीं लिखा जाता है
किसने कह दिया
मायूस होने के लिये
कभी निकल के देख
अपनी बदसूरत सोच
के दायरे से बाहर
बदसूरतों के बदसूरत से
रास्तों में हमेशा ही
क्यों दौड़ जाता है
बहुत सा बहुत कुछ
और भी है खूबसूरत है
खूबसूरती से उतारता है
खूबसूरत लफ्जों को
लिखा हुआ हर तरफ
सभी कुछ खूबसूरत
और बस खूबसूरत
सा नजर आता है
सब कुछ मिलता है
उस लिखे लिखाये में
चाँद होता है तारे होते हैं
आसमान होता है
हवा होती है
चिड़िया होती है
आवाजें बहुत सी होती हैं
सब कविता होती हैं
या केवल गीत होती हैं
इसीलिये हर खूबसूरत
उसी दायरे के
कहीं ना कहीं आसपास
में ही पाया जाता है
कभी किसी दिन
झूठ ही सही
अपनी उल्टी सोच के
कटोरे से बाहर निकल
कर क्यों नहीं आता है
अच्छा लगेगा तुझे भी
और उसे भी ‘उलूक’
होने दे जो हो रहा है
करने दे जो भी
जहाँ भी कर रहा है
कीचड़ में कैसे
खिलता होगा कमल
असहनीय सड़ाँध में
भी खिलखिलाता है
सोच कर देख तो सही
कोशिश करके
बदसूरती के बीच
कभी खूबसूरती से
कुछ खूबसूरत
भी लिखा जाता है ।

चित्र साभार: www.moonbattery.com

शनिवार, 8 अगस्त 2015

हर कोई मरता है एक दिन मातम हो ये जरूरी नहीं होता है

हर बाजार में
हर चीज बिके
ये जरूरी भी
नहीं होता है
रोज बेचता है कुछ
रोज खरीदता है कुछ
उसके बाद भी कैसे
किसी को अंदाजा
नहीं होता है
किसी की मौत
कहाँ बिकेगी
कौन कब और
कहाँ पैदा होता है
कहीं सुंदर सी
आँखों की गहराई
ही बिकती है
कहीं खाली आवाज
गुंजाता हुआ
खंडहर हो चुके
एक कुऐं में भी
प्राइस टैग बहुत
उँचे दामों का
लगा होता है
कहीं बहुत भीड़
नजर आती है
और सामने से
बहुत कुछ उधड़ा
हुआ सा होता
ये जरूरी नहीं है
जिंदगी का फलसफा
हर किसी के लिये
हमेशा एक सा होता है
किसी को खून देखकर
गश आना शुरु होता है
किस को अगर नशा
होता है तो बस गिरे हुऐ
खून के लाल रंग को
देखने से ही होता है
बहुत मरते हैं रोज
कहीं ना कहीं दुनियाँ
के किसी कोने में
हर किसी के मरने
का मातम जरूरी नहीं है
हर किसी के यहाँ होता है ।

चित्र साभार: www.examiner.com

शुक्रवार, 7 अगस्त 2015

विनम्र श्रद्धांजलि ब्लागर निलॉय नील

जमघट
हर जगह
एक नहीं
कई सारे

एक जैसी
आकाँक्षाऐं
एक जैसी
महत्वाकाँक्षाऐं

एक सी
आवाजें
और शोर
तीखे संगीत
और गीतों के
सायों से कहीं
दूर बहुत दूर
कुकर्म की
उर्जा का जोर

सियार
एक नहीं
बहुत सारे
एक हो कर
कुचलने
को आमादा
तिमिर से
ढक कर
निचोड़ कर
हर नई भोर

कहाँ कहाँ
देखे कोई
क्या कुछ सोचे
क्या करे कोई

हताशा
अपने आस पास
बहुत नजदीक भी

हताशा
दूर बहुत दूर
उसी तरह की वही

क्रूरता
लालच
बेरहमी की
जय जयकार
से खुश हो रहे
लोग दर लोग

फिर से
एक बार
कुचल दी गई
हत्या कर
एक और
आवाज

बोलने
लिखने की
आजादी को
करने के
लिये कमजोर

पर रुक
नहीं पाये
कभी
इस तरह
दीवानों
के कारवाँ

उठ
खड़े होंगे
तेरे जैसे
एक नहीं
हजारों
हजारों
कई ओर

श्रद्धांजलि
नम आँखों
के साथ
निलॉय नील

शहादत
मारेगी
जरूर
तुम्हारी
बहुत जोर

उठेगी
आवाजें
उसी तरह
सत्य की
सत्य के लिये
बहुत सारी
पुरजोर

श्रद्धांजलि
और नमन
की आवाज है
आज हर ओर ।

चित्र साभार: www.patrika.com