उलूक टाइम्स

मंगलवार, 14 मई 2019

ना शेर है ना समझ है समझने की शेर को बस खुराफाती ‘उलूक’ की एक खुराफात है दिखाने की कोशिश उतार कर मुखौटा बेशरम हो चुके एक नबाब का

अच्छा
है
सबसे

खुद
से
बात कर

खुद
को
समझाना

मतलब
कही गयी
अपनी ही
बात का

सारे
अबदुल्ला

नाच रहे हों जहाँ

दीवाने
हो कर

बेगानी शादियों में

मौका होता है

बैण्ड के
शोर के बीच

खुद से
खुद की
मुलाकात का

कभी
नंगे किये जायें

सारे शब्द
ऐसे ही
किसी शोर में

उधाड़ कर
खोल
उनके भी

उतार कर

निचोड़ कर
रखते हुऐ

धूप में
सुखाने के लिये

मुखौटे
बारी बारी

एक
एक शरीफ
किरदार का

लहसुन
और
प्याज मानकर

खोलते
चले जायें परतें

समय
के साथ बढ़ते
पनपते सड़ते
मतलब शब्दों के

देखकर
सामने से खेल
हजूरे आला

और
खिदमतदारों
से
बजबजाये
दरबार का

‘उलूक’
लिखना
ना लिखना

रोज
लिखना
कभी कभी
लिखना

नहीं
बदलना है
सोच का

संडास में
बह रही

गंगा जमुनी
तहजीब के

साफ सफाई
के बहाने से

घर घर
की बातों के

छुपे छुपाये
हबी 

सुनहरे
लूटने
लुटाने के

हिंदुस्तानी
हिंदू मुसलमाँ
होते हिसाब का ।

 चित्र साभार: https://in.pinterest.com/pin/32299322314263872/?lp=true

गुरुवार, 9 मई 2019

लिखना जरूरी है होना उनकी मजबूरी है कभी लिखने की दुकान के नहीं बिके सामान पर भी लिख


ये

लिखना भी

कोई
लिखना है

उल्लू ?

कभी

आँख
बन्द कर के

एक
आदमी में

उग आये

भगवान
पर
भी लिख

लिखना
सातवें
आसमान
पहुँच जायेगा

लल्लू

कभी

अवतरित
हो चुके

हजारों
लाखों

एक साथ में

उसके

हनुमान
पर भी
लिख

सतयुग
त्रेता द्वापर

कहानियाँ हैं

पढ़ते
पढ़ते
सो गया

कल्लू ?

कभी
पतीलों में

इतिहास
उबालते

कलियुग
के शूरवीर

विद्वान
पर
भी लिख

शहीदों
के जनाजे
के आगे

बहुत
फाड़
लिये कपड़े

बिल्लू

कभी
घर के
सामान

इधर उधर
सटकाने में
मदद करते

बलवान
पर
भी लिख

विष
उगलते हों

और

साँप
भी
नहीं हों

ऐसा
सुने और
देखे हों

कहीं
और भी

तो
चित्र खींच

चलचित्र
बना
फटाफट

यहाँ
भी डाल

निठल्लू

पागल होते

एक
देश के
बने राजा के

पगलाये

जुबानी
तीर कमान

पर
भी लिख

बे‌ईमानों
को
मना नहीं है

गाना
बाथरूम में

गा
लिया कर
नहाते समय

वंदे मातरम

‘उलूक’

मैं
निकल लूँ

अखबारों
में
रोज की
खबर में

शहर के
दिख रहे

नंगों
और
शरीफों के

शरीफ
और नंगे
होने के

अनुमान

पर
भी लिख ।

चित्र साभार: www.shutterstock.com



रविवार, 5 मई 2019

यार यस यस को समझ और यस यस करने की आदत डाल कुछ बनना है अगर तो बाकी सब पर मिट्टी डाल

यार

यस यस
को समझ

और

यस यस
करने की
आदत डाल

कुछ
बनना है
अगर

तो बाकी
सब पर
मिट्टी डाल

बुद्धिजीवी
होने का
प्रमाणपत्र है

है तो
निकाल

नहीं
भी है
अगर

तो भी
कोई
नहीं है
बबाल

समझ
ले बस

यार

यस यस
करने की
आदत डाल

यारों
का यार
होता है

नंगा
सबसे
बेमिसाल
होता है

चाहिये
होता है

तो बस

एक
मिट्टी रंगा
एक
रुमाल होता है

चल निकाल

यार

यस यस
करना

बड़े
कमाल
का कमाल
होता है

सब कुछ देख
सब कुछ समझ

कुछ मत बोल

कुछ
छंद लिख
कुछ
बंद लिख

कुछ
कविता कर
कुछ
गीत लिख

कुछ
टिप्पणी कर
कुछ
टिप्पणी पर
कुछ निकाल

कुछ
गिनना होता है
कुछ
बीनना होता है

यार

यस यस
युग है

कुत्ता भी
बनना पड़े

तो बनना होता है

भौंकना
खुद का
किसी के लिये

इससे बड़ा
कौन सा
भौंकना
होता है

यार

यस यस युग है

ये सारे
बुद्धिजीवी

यस यस
कर रहे हैं

‘उलूक’
की बुद्धि

भ्रष्ट
हो चुकी है

यार

यस यस
नहीं
कर रहा है

तुझे
कुछ बनना है

यार

यस यस
करना सीख

समझा कर

कलियुग नहीं है

यार

यस यस युग है

जरूरत
नहीं है
मत माँग
कोई भीख

बस यार

यस यस
करना सीख

यार

यस यस
को समझ

और

यस यस
करने की
आदत डाल

कुछ
बनना है
अगर

तो
बाकी
सब पर
मिट्टी डाल ।

ग्रह पूर्वा और इससे लगे ग्रहण को पूर्वाग्रह ग्रसित बताने का ठेकेदार नजर में आ गया

कुछ
दिनों से

लगातार
हो रही

खुजली
के इलाज
के बावत

किसी
चिकित्सक
के पास
जाने का

मन
बनाते बनाते

‘उलूक’

एक
“चिट्ठा ज्योतिष”
के चिट्ठे से


टकरा गया

नौ
ग्रहों का
छोड़कर
अगला


एक 
दसवें ग्रह
का बहीखाता

 साथ
में लेकर
आ गया

ग्रह
पूर्वा
के नाम से
जाना
जाने वाला

कुछ
लोगों को
लोगों के
पीछे लगाना

अगर
आप को
आ गया

तो
समझ लीजिये

जमाना
आपकी
मुट्ठी में
आ गया

ग्रह
पूर्वा का
ग्रहण
लगाने वाले

किसी
ना किसी
मदारी के
बन्दर होते हैं

वो
बताते हैं

 और
समझाते भी हैं

उनकी
लाईन से
अलग चलने वाले

पूर्वा ग्रह
से ग्रसित
बना
दिये जायेंगे

डंका

बजा बजा
कर शोर
मचा गया

उनको
बेशरम होकर

 किसी भी
हमाम में
नाच लेने
का तरीका

बहुत अच्छी
तरह से आता है

कुछ तो
तुम भी डरो

कह कर

डरा गया

उनके
नाचने के
तरीके
और
हिसाब से

उनको
कहीं

किसी
अच्छी
जगह पर
बैठा कर

ईनाम
दिया जाता है

बता गया
दिखा गया

सरकार
के आते ही

ऐसे ही
सारे लोगों को

कहीं ना कहीं
बैठा
दिया जाता है

उदाहरण
बता गया

एक
उदाहरण

जैसे
मास्टर
कोई है

कुलपति
बना दिया
जाता है

किसे
पता होता है

ऐसे
मास्टर
साहब का

कहीं ना कहीं

 किसी
संगठन
में जाकर

पैसे देने
और
सर झुकाने

का खाता है

इसी ग्रह
पूर्वा के
बारे में
बात करने

और
इस ग्रह से

लोगों को
ग्रसित
करने वाले
कुछ लोग

कुछ
सम्मानित लोगों

और
उनके किसी
फ्रंट में

जगह
बना लेते हैं

फिर
वहीं से
गुर्राते हैं

लोगों में
ग्रहण
लगाते हैं

कुछ
ना कह

और
कर
सकने
वाले लोग

पूर्वा
ग्रह
ग्रसित
हो जाते हैं

हमारी सुनो

हमारे
कहे से कहो

सोच
अपनी होना
ठीक नहीं

समझा गया

‘उलूक’
देखता हैं

उलूक
समझता है

ऐसे
सभी शरीफ
लोगों को

अपने 

आस पास के

पता
नहीं चला
बहुत दूर का

ऐसा ही
एक शरीफ

शरीफों
का रिश्तेदार


‘उलूक’
से
आकर

कब 

टकरा गया ।


चित्र साभार: https://www.aesc.org

बुधवार, 24 अप्रैल 2019

बन्द कर ले दिमाग अपना, एक दिमाग करोड़ों लगाम सपना खूबसूरती से भरा है, किस बात की देरी है

मजबूरी है

बीच
बीच में
थोड़ा थोड़ा

कुछ
लिख देना
भी जरूरी है

उड़ने
लगें पन्ने

यूँ ही
कहीं खाली
हवा में

पर
कतर देना
जरूरी है

हजूर
समझ ही
नहीं पाते हैं

बहुत
कोशिश
करने के
बाद भी

कि यही
जी हजूरी है

फितूरों से
भरी हुयी है

दुनियाँ
यहाँ भी और वहाँ भी

कलम
लिखने वाले की
खुद ही फितूरी है

उलझ
लेते हैं फिर भी
पढ़ने पढ़ाने वाले

जानते हुऐ

टिप्पणी
ही यहाँ

बस
एक लिखे लिखाये
की मजदूरी है

आदत
नहीं है
झेलना
जबरदस्ती
फरेबियों को

रोज देखते हैं
समझते हैं

रिश्तेदार
उनके ही जैसे
आस पास के

टटपूँजियों से
बनानी दूरी है

‘उलूक’
दिमाग अपना
खोलना ही क्यूँ है

लगी
हुयी है भीड़
आँखे कान नाक
बन्द करके

इशारे में
कहीं भी
किसी
अँधे कूँऐं में
कूद लेने
की तैयारी

किस
पागल ने
कह दिया
अधूरी है ।

चित्र साभार: https://free.clipartof.com/details/1833-Free-Clipart-Of-A-Controlling-Puppet-Master