मजबूरी है
बीच
बीच में
थोड़ा थोड़ा
कुछ
लिख देना
भी जरूरी है
उड़ने
लगें पन्ने
यूँ ही
कहीं खाली
हवा में
पर
कतर देना
जरूरी है
हजूर
समझ ही
नहीं पाते हैं
बहुत
कोशिश
करने के
बाद भी
कि यही
जी हजूरी है
फितूरों से
भरी हुयी है
दुनियाँ
यहाँ भी और वहाँ भी
कलम
लिखने वाले की
खुद ही फितूरी है
उलझ
लेते हैं फिर भी
पढ़ने पढ़ाने वाले
जानते हुऐ
टिप्पणी
ही यहाँ
बस
एक लिखे लिखाये
की मजदूरी है
आदत
नहीं है
झेलना
जबरदस्ती
फरेबियों को
रोज देखते हैं
समझते हैं
रिश्तेदार
उनके ही जैसे
आस पास के
टटपूँजियों से
बनानी दूरी है
‘उलूक’
दिमाग अपना
खोलना ही क्यूँ है
लगी
हुयी है भीड़
आँखे कान नाक
बन्द करके
इशारे में
कहीं भी
किसी
अँधे कूँऐं में
कूद लेने
की तैयारी
किस
पागल ने
कह दिया
अधूरी है ।
चित्र साभार: https://free.clipartof.com/details/1833-Free-Clipart-Of-A-Controlling-Puppet-Master
बीच
बीच में
थोड़ा थोड़ा
कुछ
लिख देना
भी जरूरी है
उड़ने
लगें पन्ने
यूँ ही
कहीं खाली
हवा में
पर
कतर देना
जरूरी है
हजूर
समझ ही
नहीं पाते हैं
बहुत
कोशिश
करने के
बाद भी
कि यही
जी हजूरी है
फितूरों से
भरी हुयी है
दुनियाँ
यहाँ भी और वहाँ भी
कलम
लिखने वाले की
खुद ही फितूरी है
उलझ
लेते हैं फिर भी
पढ़ने पढ़ाने वाले
जानते हुऐ
टिप्पणी
ही यहाँ
बस
एक लिखे लिखाये
की मजदूरी है
आदत
नहीं है
झेलना
जबरदस्ती
फरेबियों को
रोज देखते हैं
समझते हैं
रिश्तेदार
उनके ही जैसे
आस पास के
टटपूँजियों से
बनानी दूरी है
‘उलूक’
दिमाग अपना
खोलना ही क्यूँ है
लगी
हुयी है भीड़
आँखे कान नाक
बन्द करके
इशारे में
कहीं भी
किसी
अँधे कूँऐं में
कूद लेने
की तैयारी
किस
पागल ने
कह दिया
अधूरी है ।
चित्र साभार: https://free.clipartof.com/details/1833-Free-Clipart-Of-A-Controlling-Puppet-Master