उलूक टाइम्स

सोमवार, 2 सितंबर 2019

मुखौटों के ऊपर मुखौटा कुछ ठीक से बैठता नहीं ‘उलूक’ चेहरा मत लिख बैठना कभी अपना शब्दों पर




एक
भीड़
लिख रही है 

लिख रही है
चेहरे
खुद के 

संजीदा
कुछ
पढ़ लेने वाले

अलग
कर लेते हैं

सहेजने
के लिये 

खूबसूरती
किसी भी
कोण से 

बना लेते हैं
त्रिभुज
या
वर्ग 

या
फिर
कोई भी
आकृति

सीखने में
समय
लगता है 
सीखने वाले को

पढ़ने वाले 
के
पढ़ने के
क्रम

जहाँ
क्रम होना
उतना 
जरूरी नहीं होता 

जितना
जरूरी होता है 

होना
चेहरा
एक अ‍दद 

जो
ओढ़ सके
सोच 

चेहरे के
ऊपर से 

पढ़ने
वाले की
आँखों की 

आँख से
सोचने वालों
को

जरूरत
नहीं होती
दिल
और
दिमाग की 

‘उलूक’
कभाड़
और
कबाड़ में 

कौन
शब्द सही है
कौन गलत 

कोई
फर्क
नहीं पड़ता है 

लगा रह
समेटने में 
लिख लिखा कर
एक पन्ना

संजीदगी
से
संजीदा
सोच का 

बस
चेहरा
मत दे देना
अपना

कभी
किसी
लिखे के ऊपर 

मुखौटों के ऊपर
मुखौटा
कुछ
ठीक से
बैठता नहीं।
चित्र साभार: https://www.dreamstime.com