मैं दो टांग वाला
हर बार भूल
ही जाता हूँ
कि सिस्टम तो
लंगड़ों ने ही
चलाना है
मुझे याद ही
नहीं रहता
कि सारे
दो टांग वाले
दो टांग वालो
के कहने में
नहीं आते हैं
वो तो लंगड़ों के घर
रोज ही
आते जाते हैं
ज्यादातर
दो टांग वाले
बस वेतन ले कर
खुश हो जाते हैं
दौड़ की सोच भी
कहाँ पाते हैं
बहुत सारी दौडे़
होनी हो कहीं
अगर एक साथ
तो लंगडे़ बहुत
ही व्यस्त
हो जाते हैं
वो दौड़ में कहीं
भाग नहीं लगाते हैं
लंगड़ी कहाँ किस को
कैसे लगेगी उसका
हिसाब लगाने में
ही व्यस्त हो जाते हैं
अपने को सबसे
चालाक समझने वाला
लंगड़ा कहीं दिखाई
ही नहीं देता है
पर अपनी हरकतों से
अपने को हर जगह
एक्स्पोज कर जाता है
मजबूरी है उसकी
हर जगह हीरा हूँ
प्रमाणपत्र लेने के
लिये आ जाता है
लेकिन कोयला भी
उसको कहीं भी
मुहँ नहीं लगाता है
ऎसे लोगों से
ही भारत का लेकिन
अंदर की बात है
का नाता है
वो घर से लेकर
दिल्ली तक
नजर आता है
काम करने वाला
मेहनत करता है
लेकिन हर जगह
एक लंगड़ा
दो टाँगो वालो को
जरूर नचाता है ।
हर बार भूल
ही जाता हूँ
कि सिस्टम तो
लंगड़ों ने ही
चलाना है
मुझे याद ही
नहीं रहता
कि सारे
दो टांग वाले
दो टांग वालो
के कहने में
नहीं आते हैं
वो तो लंगड़ों के घर
रोज ही
आते जाते हैं
ज्यादातर
दो टांग वाले
बस वेतन ले कर
खुश हो जाते हैं
दौड़ की सोच भी
कहाँ पाते हैं
बहुत सारी दौडे़
होनी हो कहीं
अगर एक साथ
तो लंगडे़ बहुत
ही व्यस्त
हो जाते हैं
वो दौड़ में कहीं
भाग नहीं लगाते हैं
लंगड़ी कहाँ किस को
कैसे लगेगी उसका
हिसाब लगाने में
ही व्यस्त हो जाते हैं
अपने को सबसे
चालाक समझने वाला
लंगड़ा कहीं दिखाई
ही नहीं देता है
पर अपनी हरकतों से
अपने को हर जगह
एक्स्पोज कर जाता है
मजबूरी है उसकी
हर जगह हीरा हूँ
प्रमाणपत्र लेने के
लिये आ जाता है
लेकिन कोयला भी
उसको कहीं भी
मुहँ नहीं लगाता है
ऎसे लोगों से
ही भारत का लेकिन
अंदर की बात है
का नाता है
वो घर से लेकर
दिल्ली तक
नजर आता है
काम करने वाला
मेहनत करता है
लेकिन हर जगह
एक लंगड़ा
दो टाँगो वालो को
जरूर नचाता है ।
लेकिन हर जगह
जवाब देंहटाएंएक लंगडा़
दो टाँगो वालो को
जरूर नचाता है!..bahut satik..
बहुत ही तीखी और सत्य रचना | सोचने योग्य बात है के जीवन कहाँ कौन लंगड़ा बना है और कहाँ कौन दोनों टांगो वाला | आभार
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार (31-03-2013) के चर्चा मंच-1200 पर भी होगी!
सूचनार्थ...सादर!
बहुत बड़ा सच है "लंगडा दौड़ता है दो टांग वाला कमेंट्री करता है "|
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत सुंदर भावों की अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंRECENT POST: होली की हुडदंग ( भाग -२ )
बहुत सटीक अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति!!
जवाब देंहटाएंपधारें कैसे खेलूं तुम बिन होली पिया...
सही कहा सुशील भाई...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !
अच्छा खींचा है!
जवाब देंहटाएं