उलूक टाइम्स: बंदरों के नाटक में जरूरी है हनुमान जी और राम जी का भी कुछ घसीटा

गुरुवार, 29 अक्टूबर 2015

बंदरों के नाटक में जरूरी है हनुमान जी और राम जी का भी कुछ घसीटा

बंदर ने बंदर
को नोचा और
हनुमान जी ने
कुछ नहीं सोचा
तुझे ही क्यों
नजर आने
लगा इस सब
में कोई लोचा
भगवान राम जी
के सारे लोगों
ने सारा कुछ देखा
राम जी को भेजा
भी होगा जरूर
चुपचाप कोई
ना कोई संदेशा
समाचार अखबार
में आता ही है हमेशा
बंदर हो हनुमान हो
चाहे राम हो
आस्था के नाम पर
कौन रुका कभी
और किसने है
किसी को रोका
मौहल्ला हो शहर हो
राज्य हो देश हो
तेरे जैसे लोगों
ने ही
हमेशा ही
विकास के पहिये
को ऐसे ही रोका
काम तेरा है देखना
फूटी आँखों से
रात के चूहों के
तमाशों को
किसने बताया
और किसके कहने
पर तूने दिन का
सारा तमाशा देखा
सुधर जा अभी भी
मत पड़ा कर
मरेगा किसी दिन
पता चलेगा जब
खबर आयेगी
बंदरों ने पीटा
हनुमान ने पीटा
और उसके बाद
बचे खुचे उल्लू

उलूक को राम
ने भी जी भर कर
तबीयत से पीटा ।

चित्र साभार:
www.dailyslave.com

12 टिप्‍पणियां:

  1. एक पत्र नरेन्द्र मोदी के नाम
    जनाब .कुछ दिन पहले तक जब भी घर से निकलते थे तो लगता था की हम भारत में जी रहे है
    और इस पर गर्व होता था खाने पिने घूमने फिरने की खुली आज़ादी थी लगता था हमारी सरकार हमारे साथ है और लगता था था की हम ऐसे भारत का निर्माण कर रहे है जिससे आने वाली नस्लें और दुनिया याद रखेगी इसीलिए हमने एक मजबूत सरकार चुनी क्योंकि हम मिलीजुली सरकारों से तंग आ चुके थे

    लेकिन जैसे जैसे दिन बीतते जा रहे है ..कुछ डर सा महसूस हो रहा है .
    अब तो गाय के पास गुजरें तो डर लगता है की कहीं यह किसी समुदाय विशेष को बुरा लग गया तो खेर नहीं
    .
    चुनाव से पहले भोला सा मुंह बनाकर आये थे तुम , कहा था अच्छे दिन आने वाले हैं…
    कैसे अच्छे दिन , कहाँ के अच्छे दिन…. यहां तो ससुरा जो कुछ अच्छा था वो भी कचरा हो गया
    जो सब्ज़ी 10 रुपये किलो मिलती थी आज वही 30 के भाव मिल रही है मोदीजी…. कब आएंगे अच्छे दिन।. अगर इस तरह से आएंगे अच्छे दिन तो फिर किसी भारतीय को तो नहीं चाहिए
    बड़े सयाने बनके आपने कहा था खाली खज़ाना छोड़ कर गयी थी कांग्रेस…...
    उस खाली ख़ज़ाने में से भूटान नेपाल को हज़ारों करोड़ दे दिए …. ऐसा जादू देश की महंगाई कम करने में दिखाओ न जनाब ।..
    आपके ब्रांड थे एक बाबा , आंख मार मारकर पूरे देश को उल्लू बना गए
    कहते थे मोदी को जीताओ पेट्रोल की कीमत आधी करने को कहा था..... कहां गया महंगाई कम होने की बात करने वाला बाबा आपका , बाइक घर पे ताला लगाकर खड़ी करदी है मोदीजी ।
    आपने कहा था आप तरक़्क़ी लाएंगे …. लेकिन ये क्या…विकास की जगह ये फूटे भाग वाला नसीब दे दिया अब हम गरीब लोग अपना फूटा नसीब लेकर कहां जाएं मोदीजी..........
    चारों और आपकी सरकार पर हमले किये जा रहे है अवार्ड लोटाये जा रहे है
    हमने जिस मोदी को देखा था वो अपने भाषणों में ताल ठोकता था ...
    अब तो खामोश है ................................................................कुछ तो बोलिए जनाब

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (31-10-2015) को "चाँद का तिलिस्म" (चर्चा अंक-2146) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. यह कविता हनुमान और राम से लेकर अब तक की विडंबनाओं की कविता है।

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  4. बहुत खूब। ऐसा लगा कि एक ही सांस में पूरा लेख लिखा गया हो। पानी की तरह बहती निर्मल रचना।

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