बातें कितनी भी बना ली जायें
लगता है अभी कुछ ही कहा गया है
बहुत कुछ है जो बचा हुआ रह गया है
जल की इतनी बूँदें होती
और जमा हो गई होती
जलजला ला देती बहा देती
बहुत कुछ छोड़ दिया जाता
समय के साथ बहने के लिये अगर
फिर लगता है
बातें भी बूँद बूँद ही जमा होती हैं
जैसी जगह मिले उसी की जैसी हो लेती हैं
सामंजस्य हो बात का बात के साथ
जरूरी नहीं होता है
कुछ बातें खुद ही तरतीब से लग जाती हैं
कुछ अपने ही आप
एक दूसरे पर चढ़ जाती हैं
निकलना चाहती हैं अंदर से बाहर
बेतरतीबी से ऊँची नीची सोच के साथ
उसी सोच पर चढ़ कर या उतर कर
आसान भी नहीं होता है बाँधें रखना
या फिर यूँ ही छोड़ देना बातों की नकेल को
बातें एक साथ अगर कह भी दी जाती हैं
बाढ़ फिर भी नहीं कभी आ पाती है
बातें पानी की तरह बह तो जाती हैं
पर दूर तक कहीं भी नजर नहीं आती हैं
उनके निशान भी समय की रेत पर खो जाते हैं
सबके बस में
नहीं होता है जमा किये रहना बातों को
कुछ बहा देते हैं
यूँ ही कहीं भी बातों को बातों ही बातों में
बातों के बादल भी नहीं बनते हैं
बात बात में फटते भी नहीं हैं
बातें निचोड़नी पड़ती हैं
कुछ पीनी पड़ती हैं कुछ जीनी पड़ती हैं
बात तो तब बनती है जब कोई बात
बहुत ही धीरे धीरे हौले हौले से
बात की बात में बातों के बीच छोड़ दी जाती है
कब काट जाती है कब फाड़ जाती है
कब कहाँ किस को चीर जाती है
उसके बाद मटकती उछलती चल देती है
हर जगह जा जा कर नाच दिखाती है
देखते रह जाते हैं बातें बनाने वाले
उनकी खुद की कही बात
उन्हीं को लपेट ले जाती है
‘उलूक’ जानता है बहुत अच्छी तरह
सबसे अच्छी बात ऐसी ही एक बात होती है
जो किसी के भी
समझ में कभी भी नहीं आ पाती है
बातें बनाना वैसे भी किसी को भी
कहीं भी नहीं सिखाया जाता है
बातें तो बात ही बात में
यूँ ही चुटकी में बना दी जाती हैं
मुश्किल तब होती है
जब बातों में से ही एक बात
च्यूइंगम हो जाती है ।
चित्र साभार: www.shutterstock.com
बहुत ही सुंदर रचना की प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (21-10-2015) को "आगमन और प्रस्थान की परम्परा" (चर्चा अंक-2136) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बात से बात चली,और एक और बात बन गयी
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ बात कही,फिर भी बात की बात रह गयी.
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द रविवार 08 सितंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर सराहनीय
जवाब देंहटाएंबातें तो बात ही बात में
जवाब देंहटाएंयूँ ही चुटकी में बना दी जाती हैं
मुश्किल तब होती है
जब बातों में से ही एक बात
च्यूइंगम हो जाती है ।
बेहतरीन रचना 🙏
बेहतरीन रचना 🙏
जवाब देंहटाएंबातें तो बात ही बात में.... कहां से कहां तक पहुंच गई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना।