जो लिखता है उसे पता होता है
वो क्या लिखता है किस लिये लिखता है
किस पर लिखता है क्यों लिखता है
जो पढ़ता है उसे पता होता है
वो क्या पढ़ता है किसका पढ़ता है क्यों पढ़ता है
लिखे को पढ़ कर उस पर कुछ कहने वाले को पता होता है
उसे क्या कहना होता है
दुनियाँ में बहुत कुछ होता है
जिसका सबको सब पता नहीं होता है
चमचा होना बुरा नहीं होता है
कटोरा अपना अपना अलग अलग होता है
पूजा करना बहुत अच्छा होता है
मन्दिर दूसरे का भी कहीं होता है
भगवान तैंतीस करोड़ बताये गये हैं
कोई हनुमान होता है कोई राम होता है
बन्दर होना भी बुरा नहीं होता है
सामने से आकर धो देना
होली का एक मौका होता है
पीठ पीछे बहुत करते हैं तलवार बाजी
‘उलूक’ कहीं भी नजर नहीं आने वाले
रायशुमारी करने वालों का
सारे देश में एक जैसा एक ही ठेका होता है ।
चित्र साभार: Cupped hands clip art
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 25 अगस्त 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंवाह पूजा करना बहुत अच्छा होता है।
जवाब देंहटाएंमंदिर दूसरे का भी कहीं होता है।
श्रेष्ठ रचना ।बहुत-बहुत बधाई।
दुनियाँ में बहुत कुछ होता है
जवाब देंहटाएंजिसका सबको सब पता नहीं होता है
वाह!! बेहतरीन रचना आदरणीय
कभी कभी उलूक का
जवाब देंहटाएंकहीं पर निगाहें
और
कहीं पर निशाना भी होता है।
तभी तो उलूक की आंखों में
फरमाते हैं शौक
शौक बहराईची।
आभार और बधाई।
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह बात से बात निकल कर बात पहुंच ही गई।
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति।