ठीक बात
नहीं होती है
कह देना
अपनी बात
किसी से भी
कुछ बातें
कह देने की
नहीं होती हैं
छुपायी जाती हैं
बात के
निकलने
और
दूर तक
चले जाने
की बात पर
बहुत सी
बातें कही
और
सुनी जाती हैं
सुनाई जाती हैं
कुछ लोग
अपनी बातें
करना
छोड़ कर
बातों बातों
में ही
बहुत सारी
बात
कर लेते हैं
बातों बातों में
किसी की बातें
बाहर
निकलवाकर
उसी से
कर लेने
की निपुणता
यूँ ही हर
किसी को
नहीं आयी
होती है
एक
दो चार दिन के
खेल खेल में
सीख लेना
नहीं होता है
बातों को
लपेट लेना
सामने वालों की
उसकी
अलग से
कई साल
सालों साल
बातों बातों में
बातों के स्कूलों में
पढ़ाई लिखाई होती है
‘उलूक’
नतमस्तक
होता है
बातों के ऐसे
शहनशाहों के
चरणों में
ठंड रख कर
खुद हिमालयी
बर्फ की
हमेशा अपनी
बातों में जिसने
दूसरे की
दिल की
बातों की
नरम आग
सुलगा
सुलगा कर
पानी में
भी आग
लगाई
होती है ।
चित्र साभार: ClipartFest
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें