कैसे
बनती होगी
एक कविता
रस छन्द
और
अलंकार
से
सराबोर
कैसे
सोचता होगा
एक कवि
क्या
देखता होगा
और
किस दिशा
की ओर
कौन
पढ़ लेता होगा
आँखें
कवि की खोल
मन में अपने
हो लेता होगा
उतना ही विभोर
इन्द्रियाँ
बस में
होती होंगी
किस की इतनी
अवशोषित
कर लेता होगा
जो केवल
संगीत
छान कर
सारे शोर
किस के
पन्ने में
छपे अक्षर
नजर आना
शुरु
हो जाते होंगे
एक पाठक को
मोती जैसे
लपक रहा हो
चमक देख कर
उनकी
तरफ कोई
गोताखोर
शायद:
अनन्त में
होता होगा
ध्यान केन्द्रित
दूर बहुत
होते होंगे
जोकर
कलाकार
चोर छिछोर
नजर पड़ती
होगी बस
सारे सफेद
कबूतरों पर
काले कौओं
को समझा कर
ले जाता होगा
समय
कहीं किसी
मोड़ की ओर
सीख:
क्यों
बैठा
रहता होगा
‘उलूक’
करने को
बकवास
देखता
घनघोर
अमावस में भी
फाड़ कर
आँखें चार
किसी पाँचवीं
दिशा की छोर
सीखता
क्यों नहीं होगा
थोड़ा सा भी
हटकर लिखना
अच्छा लिखना
मुँह
मोड़ कर
इधर उधर से
देख देख कर
कहीं
कुछ जमीन
के अन्दर
कुछ
आकाश
की ओर।
चित्र साभार: https://melbournechapter.net
बनती होगी
एक कविता
रस छन्द
और
अलंकार
से
सराबोर
कैसे
सोचता होगा
एक कवि
क्या
देखता होगा
और
किस दिशा
की ओर
कौन
पढ़ लेता होगा
आँखें
कवि की खोल
मन में अपने
हो लेता होगा
उतना ही विभोर
इन्द्रियाँ
बस में
होती होंगी
किस की इतनी
अवशोषित
कर लेता होगा
जो केवल
संगीत
छान कर
सारे शोर
किस के
पन्ने में
छपे अक्षर
नजर आना
शुरु
हो जाते होंगे
एक पाठक को
मोती जैसे
लपक रहा हो
चमक देख कर
उनकी
तरफ कोई
गोताखोर
शायद:
अनन्त में
होता होगा
ध्यान केन्द्रित
दूर बहुत
होते होंगे
जोकर
कलाकार
चोर छिछोर
नजर पड़ती
होगी बस
सारे सफेद
कबूतरों पर
काले कौओं
को समझा कर
ले जाता होगा
समय
कहीं किसी
मोड़ की ओर
सीख:
क्यों
बैठा
रहता होगा
‘उलूक’
करने को
बकवास
देखता
घनघोर
अमावस में भी
फाड़ कर
आँखें चार
किसी पाँचवीं
दिशा की छोर
सीखता
क्यों नहीं होगा
थोड़ा सा भी
हटकर लिखना
अच्छा लिखना
मुँह
मोड़ कर
इधर उधर से
देख देख कर
कहीं
कुछ जमीन
के अन्दर
कुछ
आकाश
की ओर।
चित्र साभार: https://melbournechapter.net
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