भटकता
क्यों है
लिख
तो रहा है
पगडंडियाँ
ही सही
इसमें
बुरा क्या है
रास्ते चौड़े
बन भी रहे हैं
भीड़ के
लिये माना
अकेले
चलने का भी
तो कुछ अपना
अलग मजा है
जरूरी
नहीं है
भाषा के
हिसाब से
कठिन
शब्दों में
रास्ते लिखना
रास्ते में ही
जरूरी है चलना
किस ने कहा है
सरल
शब्दों में
कठिन
लिख देना
समझ
में नहीं
आये
किसी के
ये
उसकी
अपनी
आफत है
अपनी बला है
शेर है
पता है
शेर को भी
किसलिये
फिर बताना
किसी
और को भी
जब
जर्रे जर्रे
पर शेर
लिख
दिया गया है
खुदा से
मिलने गया
है इन्सान
या
इन्सान से
मिलने को
खुदा
खुद रुका है
पहली
बार दिखा है
मन्दिर के
दरवाजे तक
गलीचा
बिछाया गया है
कितना
कुछ है
लिखने के लिये
हर तरफ
हर किसी के
अलग बात है
अब
सब कुछ
साफ साफ
लिखना मना है
एक
पैदा हो चुकी
गन्दगी के लिये
स्वच्छता
अभियान
छेड़ा
तो गया है
मगर
खुद शहीद
हो लेना
गजब
की बात है
इतनी
ऊँची उड़ान
से उतरना
फिर से
जन्म लेना है
कमल होना
खिलना कीचड़ में
ब्रह्मा जी
का आसन
बहुत सरल है
ऐसा कुछ सुना है
बेवकूफ है ‘उलूक’
लूट जायज है
देश और
देशभक्ति करना
किसने कहा है
मना है ।
चित्र साभार: https://insta-stalker.com
क्यों है
लिख
तो रहा है
पगडंडियाँ
ही सही
इसमें
बुरा क्या है
रास्ते चौड़े
बन भी रहे हैं
भीड़ के
लिये माना
अकेले
चलने का भी
तो कुछ अपना
अलग मजा है
जरूरी
नहीं है
भाषा के
हिसाब से
कठिन
शब्दों में
रास्ते लिखना
रास्ते में ही
जरूरी है चलना
किस ने कहा है
सरल
शब्दों में
कठिन
लिख देना
समझ
में नहीं
आये
किसी के
ये
उसकी
अपनी
आफत है
अपनी बला है
शेर है
पता है
शेर को भी
किसलिये
फिर बताना
किसी
और को भी
जब
जर्रे जर्रे
पर शेर
लिख
दिया गया है
खुदा से
मिलने गया
है इन्सान
या
इन्सान से
मिलने को
खुदा
खुद रुका है
पहली
बार दिखा है
मन्दिर के
दरवाजे तक
गलीचा
बिछाया गया है
कितना
कुछ है
लिखने के लिये
हर तरफ
हर किसी के
अलग बात है
अब
सब कुछ
साफ साफ
लिखना मना है
एक
पैदा हो चुकी
गन्दगी के लिये
स्वच्छता
अभियान
छेड़ा
तो गया है
मगर
खुद शहीद
हो लेना
गजब
की बात है
इतनी
ऊँची उड़ान
से उतरना
फिर से
जन्म लेना है
कमल होना
खिलना कीचड़ में
ब्रह्मा जी
का आसन
बहुत सरल है
ऐसा कुछ सुना है
बेवकूफ है ‘उलूक’
लूट जायज है
देश और
देशभक्ति करना
किसने कहा है
मना है ।
चित्र साभार: https://insta-stalker.com
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार मई 21, 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (21-05-2019) को "देश और देशभक्ति" (चर्चा अंक- 3342) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह्ह्ह तंज हो तो ऐसा. .
जवाब देंहटाएंवैसे अभी कानफेस्टिवल में भी गलीचे बिछ रहे हैं……
बहुत खूब .... सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 27 मई 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना आदरणीय
जवाब देंहटाएंइस गलीचे ने सबके भीतर सोये गलीचे जगा दिए | सार्थक व्यंग भरी रचना आदरणीय सुशील जी |
जवाब देंहटाएंअगर उलूक को चढ़ते सूरज के लिए पलक-पांवड़े बिछाना आता तो फिर वह अँधेरे में क्यों रहता? और फिर वह उलूक क्यों कहलाता?
जवाब देंहटाएंआज देशभक्त वही है जो कि हाकिम की हाँ में हाँ मिलाते हुए लूट-कार्यक्रम में सतत संलग्न रहे.