जो कहीं नहीं है बस वही नजर आये
जो सब जगह है उसे बताने की मनाही है
जो सब जगह है उसे बताने की मनाही है
सब को सब समझ में कहाँ आता है
आ भी गया तो कह देना दूसरी लहर आई है
आ भी गया तो कह देना दूसरी लहर आई है
महफिल कहीं नहीं सजती अब
अकेले रहा करो इसी में सबकी भलाई है
अकेले रहा करो इसी में सबकी भलाई है
उठ के यूँ ही चले जा रहे हैं लोग
छोड़ कर के आने में ही सुना रुसवाई है
छोड़ कर के आने में ही सुना रुसवाई है
जाना ही होता है सब जायेंगे
मौत भी एक रस्म है बात लिखी लिखाई है
मौत भी एक रस्म है बात लिखी लिखाई है
सच को झूठ और झूठ को सच बता
खेल ले तेरे पाले में नई बॉल आई है
खेल ले तेरे पाले में नई बॉल आई है
पढ़ा लिखा अनपढ़
फर्क आदमी आदमी का
आदमी ने बात बनाई है
फर्क आदमी आदमी का
आदमी ने बात बनाई है
कौन क्या कर रहा होता है किसे पता
लिखना लिखाना रस्म अदाई है
लिखना लिखाना रस्म अदाई है
उलाहना आसान है
भुगत ले क्यों परेशान है
रोज होता है नई बात नजर नहीं आई है
भुगत ले क्यों परेशान है
रोज होता है नई बात नजर नहीं आई है
आना जाना बना रहे
जान पहचान जरूरी है
कुछ ले और कुछ दे दोनों की भलाई है
जान पहचान जरूरी है
कुछ ले और कुछ दे दोनों की भलाई है
‘उलूक’ एक लहर से दूसरी लहर तक
सफर में सनक जाना मना है बेवफाई है
सफर में सनक जाना मना है बेवफाई है
तीसरी लहर तक लिखना ना भूल जाना
मरी ही सही सोच की हौसला अफजाई है ।
मरी ही सही सोच की हौसला अफजाई है ।
चित्र साभार: https://www.shutterstock.com/
वाह।
जवाब देंहटाएंउलूक कालजयी है।
जवाब देंहटाएंउलाहना आसान है
जवाब देंहटाएंभुगत ले क्यों परेशान है
रोज होता है नई बात नजर नहीं आई है
आना जाना बना रहे
जान पहचान जरूरी है
कुछ ले और कुछ दे दोनों की भलाई है
मन से व्यथित
यशोदा..
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (17-05-2021 ) को 'मैं नित्य-नियम से चलता हूँ' (चर्चा अंक 4068) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
सदैव की भांति गहन भावों से सज्जित सुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंवाह ,खूबसूरत ग़ज़ल हुई ये तो ।
जवाब देंहटाएंआज के वक़्त का पूरा खाका खींच दिया ।
Amazing post thanks for sharing
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार रचना आज के वर्तमान समय को दिखाते हुए
जवाब देंहटाएंमहफिल कहीं नहीं सजती अब
जवाब देंहटाएंअकेले रहा करो इसी में सबकी भलाई ह
बहुत सुंदर
बहुत खूब कहा सर!🙏
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह बेहतरीन।
जवाब देंहटाएंउम्दा व सामयिक रचना
जवाब देंहटाएंअब तीसरी लहर आने तक क्या पता क्या हो? लिखना नही भूलना है. बहुत खूब.
जवाब देंहटाएंNice article
जवाब देंहटाएंOnline Hindi typing
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समय की नब्ज पकड़कर लिखी
जवाब देंहटाएंकमाल की रचना
मौत भी एक रस्म है बात लिखी लिखाई है
जवाब देंहटाएंसच को झूठ और झूठ को सच बता
खेल ले तेरे पाले में नई बॉल आई है
बहुत खूब सर... आपका लिखा पढ़ना जैसे रविश कुमार के न्युज को सुनना सा लगता है
Bahut sundar rachna!
जवाब देंहटाएंHello! I just would want to supply a huge thumbs up for your great info you may have here on this post. I will be coming back to your blog post for more soon.
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सच को झूठ और झूठ को सच ?-जब पता ही नहीं कि सच क्या है,सब चले जा रहा है लस्टम-पस्टम.
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबहुत कमाल का तंज़ ...
जवाब देंहटाएंबहुत तीखा और सत्य के करीब ... जो है वो नहीं ... जो नहीं उसी का रोना है ...
क्या बात क्या बात ...
वाह! गज़ब लिखा सर ।
जवाब देंहटाएंजो कहीं नहीं है बस वही नजर आये
जो सब जगह है उसे बताने की मनाही है
सब को सब समझ में कहाँ आता है
आ भी गया तो कह देना दूसरी लहर आई है...वाह!
Shared a good post.Thanks for this useful information...
जवाब देंहटाएंbest colleges for computer engineering
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